Power Crisis: राज्यों ने नहींं चुकाए कोल इंडिया के 21 हजार करोड़ रुपये, न ही उठाया कोयला
राज्यों को कोल इंडिया की करीब 21 हजार करोड़ की बकाया राशि का भुगतान करना बाकी है। सरकार का कहना है कि राज्यों ने न तो बकाया राशि का भुगतान ही किया और न ही अपने हिस्से के कोयले का भंडार ही सुनिश्चित किया।
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में गहराए बिजली संकट को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से तत्काल प्रभाव से कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत जहां कोयला उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए ग ए हैं वहीं राज्यों से कहा गया है कि वो अपने हिस्से का कोयला भी उठा लें। सरकार ने कहा है कि कुछ ही दिनों में ये संकट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। सरकार पहले ही ये साफ कर चुकी है कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है।
बता दें कि देश में 75 फीसद बिजली का उत्पादन कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से होता है। पीछे कुछ दिनों से कोयले की कमी का जो संकट देश के कुछ राज्यों में दिखाई दिया है उसकी कुछ बड़ी वजह रही हैं। इनमें मुख्य रूप से कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों में जबरदस्त बारिश का होना, बाढ़ का आना, कोयले की ढुलाई में आई रुकावट रही है। इसके अलावा ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ये भी मानते हैं कि देश में कोयला खनन की तकनीक पुरानी हो चुकी है।
इन सभी समस्याओं के अलावा जिस समस्या का जिक्र सरकार ने किया है उसमें राज्यों द्वारा कोल इंडिया की बकाया राशि का भुगतान न किया जाना भी है। आपको बता दें कि दो दिन पहले ही जब पीएम ने इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक की थी तभी ये बात सामने निकलकर आई थी कि राज्यों को करीब 21 हजार करोड़ रुपया का बकाया कोल इंडिया को चुकाना बाकी है। इसमें कोयले की कमी की वजह में ये भी कहा गया था कि राज्यों ने न तो इस बकाया राशि का भुगतान ही किया है और न ही अपने हिस्से का कोयला ही उठाया था, जिसकी वजह से ये समस्या बनी।
जिन राज्यों को कोल इंडिया की बकाया राशि का भुगतान करना है उनमें महाराष्ट्र 2,600 करोड़ रुपये, बंगाल 2,000 करोड़, तमिलनाडु व मध्य प्रदेश पर 1,000 करोड़, कर्नाटक 23 करोड़ व राजस्थान 280 करोड़ रुपये बकाया है। सरकार ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में इस समस्या से पूरी तरह से निजात पा ली जाएगी। साथ ही ये भी उम्मीद जताई है कि स्थिति सुधरने पर ये राज्य कोल इंडिया को बकाया राशि का भुगतान भी कर देंगे।
सरकार ने सीधेतौर पर ये बात कही है कि उसकी तरफ से मानसून में होने वाली परेशानी को देखते हुए राज्यों को ये कहा था कि वो कोयले का भंडार सुनिश्चित कर लें। इसके बावजूद भी राज्यों ने केंद्र की अनदेखी की थी, जिसकी वजह से इस समस्या ने विकराल रूप ले लिया और कुछ बिजली संयंत्रों को बंद तक करना पड़ा था, जबकि कुछ में एक से तीन दिन का ही कोयला शेष बचा हुआ था। यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि देश में कोयले का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार उत्पादन करीब 19.33 फीसद तक बढ़ा है। न केवल कोयला उत्पादन बढ़ा है बल्कि बिजली का उत्पादन और मांग भी बढ़ी है। ये सीधा संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही है। सरकार के मुताबिक मौजूदा समय में ताप बिजली घरों की रोजाना की कोयले की मांग करीब 19 लाख टन है, जबकि पिछले दिनों में 19.5 लाख टन कोयले की आपूर्ति हुई है। इसको जल्द ही बढ़ाकर हर रोज 20 लाख टन किया जाएगा।