Padmanabhaswamy Temple: 1686 के अग्निकांड में मंदिर को हुआ था नुकसान, किया गया था पुनर्निर्माण
मंदिर के तहखाने में छह में से पांच कक्ष खोले जा चुके हैं लेकिन एक कक्ष जिसे बी नाम दिया गया नहीं खोला गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। श्रीपद्मनाभ मंदिर के प्रबंधन को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगे की राह तय करते हुए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं। 13वीं शताब्दी के इस मंदिर को 1686 में एक बडे़ अग्निकांड में खासा नुकसान हुआ था, जिसके बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा, वैधानिक मामले अब खत्म हो गए हैं, अब हमें तय करना चाहिए कि आगे इस मंदिर का प्रबंधन कैसे किया जाएगा। हमने अलग-अलग सुझावों का बारीकी से अध्ययन किया है और हम मानते हैं कि अपील करने वाले पक्ष (राज परिवार) के सुझावों को स्वीकार किया जाए। प्रशासनिक समिति की संरचना व्यापक आधार वाली होगी और यह ट्रस्टी के न तो हद से अधिक पक्ष में होगी और न ही विरोध में।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा अंतरिम पैनल ने अच्छा काम किया है। कोर्ट के मुताबिक प्रशासनिक समिति में एक मामूली बदलाव आवश्यक है। प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता केरल सरकार के सचिव स्तर के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी के बजाय न्याय के हित में तिरुअनंतपुरम के जिला जज को देना ठीक रहेगा। राज परिवार के किसी सदस्य को मैनेजर अथवा ट्रस्टी के रूप में सेवा के लिए कोई भत्ता नहीं मिलेगा।
अदालत ने यह भी सिलसिलेवार ढंग से बताया है कि समितियों का काम क्या होगा और उन्हें किस तरह चढ़ावे तथा मंदिर में आने वाली किसी अन्य आय का इस्तेमाल करना है। तहखाने बी को खोलने के सवाल पर अदालत ने कहा, हम इसे समितियों के विवेक और निर्णय पर छोड़ना चाहते हैं।
बता दें कि मंदिर के तहखाने में छह में से पांच कक्ष खोले गए लेकिन एक कक्ष जिसे 'बी' नाम दिया गया नहीं खोला गया।राज परिवार का कहना था कि इस कक्ष में रहस्यमय ऊर्जा है। इसे विशेष विधि से बंद किया गया है। इसे खोलने की विधि भी विशिष्ट है। कोई भी गलती अनिष्ट कर सकती है। राज परिवार के इस कथन को स्थानीय लोगों की मान्यता मिलने के कारण यह कक्ष अब तक नहीं खोला गया है।