स्पाइसजेट ने भारत और यूएई में यात्रियों के लिए कोरोना जांच की सुविधा की शुरू

स्पाइसजेट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यात्रियों के लिए कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट जरूरी की गई है खासकर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए। इसलिए यात्रियों के बीच यात्रा पूर्व विभिन्न नियमों के अनुपालन की प्रक्रिया को लेकर आशंकाएं हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 06:38 PM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2020 06:38 PM (IST)
स्पाइसजेट ने भारत और यूएई में यात्रियों के लिए कोरोना जांच की सुविधा की शुरू
यात्री अपने घर सहित पसंद के स्थान पर दे सकते हैं नमूने।

नई दिल्ली, प्रेट्र। स्पाइसजेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अपने यात्रियों के लिए वीएफएस ग्लोबल के सहयोग से कोविड-19 जांच की शुरुआत की है। मंगलवार को एयरलाइन की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यात्रियों के लिए कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट जरूरी की गई है, खासकर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए। इसलिए यात्रियों के बीच यात्रा पूर्व विभिन्न नियमों के अनुपालन की प्रक्रिया को लेकर आशंकाएं हैं।

एयरलाइन ने बताया कि यात्री आपके द्वार सेवा का इस्तेमाल कर घर सहित अपनी पसंद के स्थान पर नमूने दे सकते हैं। इसने बताया कि जांच के लिए समय बुकिंग सेवा वीएफएस ग्लोबल की तरफ से दी जा रही है।

विज्ञप्ति में बताया गया कि संबंधित प्रयोगशाला 24 से 60 घंटे के अंदर व्यक्ति के ई-मेल पर रिपोर्ट भेज देगी और इसे गोपनीय रखा जाएगा। भारत में यात्री मुंबई, दिल्ली, कोच्चि, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, जालंधर, चंडीगढ़, अहमदाबाद और पुणे में आइसीएमआर से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में नमूने दे सकते हैं। इसमें कहा गया है, यूएई से यात्रा करने वाले लोग अपने नमूने अजमान, अबूधाबी, दुबई या शारजाह में सत्यापित प्रयोगशालाओं या यूएई के अंदर अपनी पसंद के स्थान पर नमूने दे सकते हैं।

संक्रमित होने वाले लोगों में 20 दिनों तक रहता है कोरोना का वायरस

वहीं, दूसरी ओर कोरोना संक्रमण को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि गंभीर रूप से संक्रमित होने वाले लोगों में यह घातक वायरस 20 दिनों तक रह सकता है। इस दौरान ऐसे लोगों से संक्रमण का खतरा बना रह सकता है। जबकि हल्के या बिना लक्षण वाले कोरोना पीड़ितों में यह संक्रमण नौ दिन से ज्यादा नहीं रहता है।

अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (ओएचएसयू) के शोधकर्ताओं ने दर्जनों अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर बताया कि गंभीर रूस से संक्रमित लोगों में यह वायरस लंबे समय तक रह सकता है। यह निष्कर्ष दुनिया भर में किए गए 77 अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर निकाला गया है।

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