चुनौतियों के बीच दिखाई दे रहा उज्‍जवल भविष्‍य, इसमें सबसे बड़ा योगदान टीचरों का है

कोविड-19 के दौरान जो कुछ नया सीखने को मिला है उसमें सबसे खास है ऑनलाइन क्‍लासेस। इसमें सबसे योगदान टीचरों का ही है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 11:22 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:12 AM (IST)
चुनौतियों के बीच दिखाई दे रहा उज्‍जवल भविष्‍य, इसमें सबसे बड़ा योगदान टीचरों का है
चुनौतियों के बीच दिखाई दे रहा उज्‍जवल भविष्‍य, इसमें सबसे बड़ा योगदान टीचरों का है

रमेश पोखरियाल निशंक। कोविड-19 की चुनौती के बीच हमारे बच्चों और टीचरों ने खुद को जरूरतों और हालातों के हिसाब से बदल लिया है। बड़े बड़े क्लासरूम छोटे से मोबाइल में सिमट गए और स्टूडेंट्स की डिजिटल हाजिरी से पढ़ाई के नए रास्ते निकल आए। मानव संसांधन विकास मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में डिजिटल लर्निंग की अहमियत और भविष्य को देखते हुए तमाम ऐसे फैसले किए हैं, जो आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेंगे लेकिन इन सब में सबसे बड़ा योगदान उन अध्यापकों का है, जिन्होंने डिजिटल सामग्री और नए पाठ्यक्रम तैयार करने के साथ ही ई लर्निंग को रोचक बनाया है ताकि स्टूडेंट्स को इसका पूरा लाभ मिल सके।

मैल्कम फोब्र्स ने कहा था, ‘शिक्षा का मकसद एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना है।’ दरअसल, एक खुला दिमाग ही बदलावों को पूर्ण विश्वास के साथ गले लगा पाता है। यही वजह है कि 12वीं पास करने वाले विद्यार्थियों के लिए शुरू किए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम सभी को खूब रास आ रहे हैं। इनमें आइआइटी मद्रास का प्रोग्रामिंग और डेटा साइंस में विश्व का पहला ऑनलाइन बीएससी डिग्री पाठ्यक्रम सबसे खास है। इसमें दसवीं कक्षा के स्तर पर अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाला और किसी भी संस्थान में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले चुका विद्यार्थी यह डिग्री हासिल कर सकता है। खास बात यह है कि इस पाठ्यक्रम को एनआइआरएफ की भारत रैंकिंग 2020 में पहला स्थान हासिल करने वाले संस्थान आइआइटी मद्रास ने शुरू किया है। 

इसी तरह इग्नू ने ऑनलाइन एमए हिंदी समेत गांधी एवं शांति अध्ययन में एमए, पर्यटन अध्ययन में बीए, अरबी में सर्टिफिकेट कोर्स, सूचना प्रौद्योगिकी में सर्टिफिकेट कोर्स, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में सर्टिफिकेट कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। इनमें वीडियो, ऑडियो लेक्चर्स और ट्यूटोरियल्स के जरिए बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ाया जाएगा। सरकार भी ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, यही वजह है उच्च शिक्षा में ई-लर्निंग के विस्तार की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत शीर्ष 100 विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेंगे। साथ ही, पारंपरिक विश्वविद्यालयों और ओडीएल कार्यक्रमों में ऑनलाइन घटक भी वर्तमान 20 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद किया जाएगा। यह विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लगभग 7 करोड़ छात्रों को सीखने के अवसर प्रदान करेगा।

देश में ऑनलाइन शिक्षा सभी को समान रूप से मिलना सुनिश्चित किया गया है। वर्तमान में नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल), स्वयं, स्वयं प्रभा, दीक्षा और एनआरओईआर जैसी पहलें उन तमाम प्लेटफार्मों में से हैं, जो भारत भर के करोड़ो छात्रों को डिजिटल शिक्षा प्रदान कर रही हैं। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक ऑनलाइन शिक्षा को पहुंचाने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म’ और ‘एक कक्षा एक चैनल’ जैसी मुहिम हैं। सरकार की ओर से पीएम ई विद्या पहल शुरू की गई है। यह पहल डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एक साथ जोड़ेगी। दीक्षा (एक राष्ट्र-एक डिजिटल प्लेटफॉर्म) सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता ई-सामग्री प्रदान करने के लिए देश का डिजिटल बुनियादी ढांचा बन जाएगा। दीक्षा प्लेटफार्म पर 27 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 1900 से अधिक एनर्जेटिक पाठ्यपुस्तकों के 88,000 से अधिक सामग्री के हिस्सों को क्यूआर कोड से टैग किया गया, जिसमें 200 एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें हैं।

इसके साथ ही टीवी पर एक कक्षा एक चैनल मुहिम के तहत कक्षा एक से बारह तक के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए समर्पित चैनल होगा, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री उन तक पहुंचाएगा। कोरोना काल में आइआइटी जेईई/नीट की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों की परेशानी को देखते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बच्चों की प्रैक्टिस बाधित न हो इसके लिए ‘अभ्यास’ एप का निर्माण किया है जिसमें परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चे घर बैठे हिंदी या अंग्रेजी में मॉक टेस्ट दे सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के बाद पता चला कि तकनीक के इस्तेमाल में युवा पीढ़ी काफी तेज है। ऐसे में ई लर्निंग में उनकी काफी रुचि है और इसे रोचक बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का सकारात्मक रूप से उपयोग भी किया जा रहा है। एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए वैकल्पिक कैलेंडर में ऑडियो, वीडियो चैट और लाइव के साथ ही रेडियो और टीवी समेत एसएमएस के जरिए पढ़ाई को रोचक बनाए रखने का प्रयास है।

दिव्यांगों के लिए ऑडियो बुक्स और रेडियो कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। सामुदायिक रेडियो और सीबीएसई शिक्षा वाणी के माध्यम से ब्रॉडकास्ट और डिजिटल रूप से सुगम्य सूचना प्रणाली (डेसी) पर विकसित एनआइओएस वेबसाइट/यूट्यूब पर सांकेतिक भाषा में विकसित की गई अध्ययन सामग्री शामिल करने की योजना है। छात्रों, शिक्षकों और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक सहयोग प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल की शुरुआत की जा रही है। इसके लिए एक वेबसाइट, एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर, काउंसलरों की राष्ट्रीय सूची, इंटरैक्टिव चैट प्लेटफॉर्म शुरूकिया गया है।

(लेखक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं)

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