Solar Panel in Space: पृथ्वी पर किसी भी जगह उपलब्ध कराई जा सकेगी बिजली, जानें- कैसे करता है काम

स्वच्छ ऊर्जा ही विकास की कुंजी है। इसी को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए विज्ञानियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। पेंटागन से जुड़े विज्ञानियों ने अंतरिक्ष में पिज्जा बॉक्स के आकार का प्रोटोटाइप सौर पैनल स्थापित किया है।

By TaniskEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:44 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 09:44 AM (IST)
Solar Panel in Space: पृथ्वी पर किसी भी जगह उपलब्ध कराई जा सकेगी बिजली, जानें- कैसे करता है काम
भविष्य के लिए अंतरिक्ष में संरक्षित हो रही ऊर्जा।

नई दिल्ली, जेएनएन। स्वच्छ ऊर्जा ही विकास की कुंजी है। इसी को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए विज्ञानियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। पेंटागन से जुड़े विज्ञानियों ने अंतरिक्ष में पिज्जा बॉक्स के आकार का प्रोटोटाइप सौर पैनल स्थापित किया है, जिससे समय आने पर पृथ्वी पर किसी भी जगह विद्युत को उपलब्ध कराया जा सके। इसे ऑपरेशन एनर्जी कैपेबिलिटी इंप्रूवमेंट फंड (ओईसीआइएफ) और यूएस नेवल रिसर्च लेबोरेटरी की ओर से विकसित किया जा रहा है।

इस तरह करता है काम

इस पैनल को फोटोवोल्टिक रेडियोफ्रीक्वेंसी एंटीना मॉड्यूल (पीआरएएम) कहा जाता है। यह पेंटागन के एक्स-37बी मानवरहित ड्रोन से जुड़ा है जो सूरज की ऊर्जा को बिजली में तब्दील करता है। से विद्युत तैयार करता है। यह ड्रोन 90 मिनट में धरती की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। रेट्रो-डायरेक्टिव बीम कंट्रोल नामक तकनीक द्वारा सबसे पहले पृथ्वी पर मौजूद एंटीना से अंतरिक्ष में पैनलों तक एक पायलट सिग्नल भेजा जाएगा। पायलट सिग्नल मिलने के बाद ही सूक्ष्म तरंगे प्रेषित की जाएंगी। इन्हें पृथ्वी पर बिजली में बदल दिया जाएगा। प्रोजेक्ट के संयोजक पॉल जैफी के मुताबिक, 12 गुणो 12 इंच का पैनल ट्रांसमिशन के लिए लगभग 10 वाट ऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम है।

नीली तरंगों से मिलेगी सबसे अधिक ऊर्जा

दरअसल सूर्य से तमाम तरह की तरंगें उत्सजिर्त होती हैं। इनमें नीली तरंगों में सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है जो धरती तक पहुंच ही नहीं पाती है और वायुमंडल में विकिरित हो जाती हैं तभी आकाश का रंग नीला दिखता है। इन तरंगों के बेहतर उपयोग के लिए पैनल को अंतरिक्ष में डिजायन किया गया जिससे उस प्रकाश का इस्तेमाल हो सके। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस पैनल से अंतरिक्ष में कई गुना प्रकाश को संरक्षित किया जा रहा है। भविष्य के लिए इस तरह के कई पैनलों को डिजायन करने की योजना है। ऐसे में यदि सफलता मिलती है तो भविष्य के सबसे बड़े ग्रिड नेटवर्क की कल्पना की जा सकती है।

क्षण में पहुंचेगी बिजली

पैनल के जरिए विद्युत को पृथ्वी पर भेजा जाना तो सिद्ध हो चुका है लेकिन अगर कई किमी में फैले किसी विस्तृत क्षेत्रफल में सौर एंटीना विकसित किए जा सकें तो उत्पन्न सूक्ष्म किरणों को ईंधन मुक्त बिजली में परिवर्तित कर ग्रह के किसी भी हिस्से में तुरंत भेजा जा सकता है। सौर ऊर्जा सेटेलाइट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कुछ सेकंड में ऊर्जा का हिस्सा कहीं भी भेजा जा सकता है।

अंतरिक्ष में पैनल के फायदे और चुनौती

इस पैनल को अंतरिक्ष में डिजाइन किए जाने की बस एक चुनौती इसका महंगा होना है। इसके अलावा गुरुत्वाकर्षण वैसे तो पुर्जो को अपनी जगह पर रखने के लिए उपयोगी होता है, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट में इनका भार ही जगह पर रहने में सहयोग करता है।

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान उपयोगी

इस मॉड्यूल के लिए तापमान की बहुत अहमियत है। चूंकि लगातार बिजली उत्पन्न करने के दौरान मॉड्यूल गर्म होता जाता है जिससे इसके उपकरणों के क्षय होने की आशंका बढ़ती है, इसलिए कम तापमान मशीन के लिए लाभकारी है। एक्स-37 बी धरती की निचली कक्षा में है यानी90 मिनट के प्रत्येक चक्कर में आधी दूरी यह अंधेरे में रहता है। जिससे जरूरी ठंड मिलती रहती है। आने वाले दिनों में मॉड्यूल को जिओसिंक्रोनस आर्बिट में स्थापित किया जाएगा तब इसे एक लूप में लगभग एक दिन का समय लगेगा जिसमें यह ज्यादातर सूर्य के प्रकाश में होगा। उस स्थिति के लिए भी इसे तैयार किया जा रहा है।

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