एमपी के राजभवन में छह और कोरोना पॉजिटिव मिले, स्टॉफ क्वार्टर एरिया कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित
भोपाल में अब तक 1469 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं जबकि 52 की मौत हो चुकी है। इंदौर के बाद सर्वाधिक मरीजों की संख्या भोपाल में ही है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। राजभवन परिसर में रहने वाले कर्मचारी व उनके परिवारों के छह और लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। इससे पहले सोमवार को कर्मचारी क्वार्टर में 28 वर्षीय युवक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। अब उसके माता-पिता और चार अन्य कर्मचारी व उनके स्वजन पॉजिटिव पाए गए हैं।
राजभवन का सर्वेंट क्वार्टर कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित
राजभवन का स्टॉफ दूसरी बार क्वारंटाइन हो गया है और राजभवन के सर्वेंट क्वार्टर को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। राजभवन सर्वेट क्वार्टरों में रहने वाले तीन दर्जन से अधिक कर्मचारियों व उनके स्वजनों के सैंपल लिए गए हैं। पॉजिटिव पाए गए लोगों में मोटर मैकेनिक और उसकी पत्नी के अलावा राज्यपाल के निजी स्टाफ में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के परिवार के चार लोग शमिल हैं। अब यहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या सात हो गई है।
राजभवन के स्टाफ को दूसरी बार क्वारंटाइन
यह दूसरा मौका है जब राजभवन के स्टाफ को क्वारंटाइन किया गया है। इससे पहले राजभवन की बैठक में शामिल हुई स्वास्थ्य विभाग की अफसर की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्टाफ को क्वारंटाइन करना पड़ा था। भोपाल में अब तक 1469 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं, जबकि 52 की मौत हो चुकी है। इंदौर के बाद सर्वाधिक मरीजों की संख्या भोपाल में ही है।
टिड्डियां दो-तीन दिन में स्वत: ही सड़कर नष्ट होने लगती हैं
देश के कई राज्यों में टिड्डियों के हमले के बाद कीटनाशक से उनको मारने के बाद मृत कीटों के निस्तारण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है हजारों की संख्या में मरने वाली टिड्डियां दो-तीन दिन में स्वत: ही सड़कर नष्ट होने लगती हैं। किसान चाहें तो उन्हें एकत्र कर गढ्डे में दफना भी सकते हैं।
टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है
भोपाल स्थित सहायक संचालक कृषि अविनाश चतुर्वेदी ने बताया कि टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। इससे टिड्डियां मर जाती हैं। केंद्र सरकार के सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकार रवि कुमार छापरे का कहना है कि मरी हुई टिड्डियां दो-तीन दिन में सड़कर नष्ट (डी-कम्पोस्ट) हो जाती हैं। फसलों की बोवनी के समय यदि टिड्डियां नजर आती हैं तो फिर वे बखरनी के दौरान मिट्टी में मिल जाती हैं। किसान इन्हें एकत्र करके गड्डे में डालकर मिट्टी से दबा भी सकते हैं। इनसे जमीन को कोई नुकसान नहीं होता है।