प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में कर्नाटक हाई कोर्ट के छह अतिरिक्त जज बने स्थायी

कर्नाटक हाई कोर्ट के जिन जजों को स्थायी जज नियुक्त किया गया है उनके नाम हैं- जस्टिस नेरानाहल्ली श्रीनिवास संजय गौड़ा जस्टिस ज्योति मुलिमणि जस्टिस नटराज रंगास्वामी जस्टिस हेमंत चंदनागौदर जस्टिस प्रदीप सिंह येरुर और जस्टिस महेशन नागप्रसंना।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 20 Aug 2021 01:11 AM (IST) Updated:Fri, 20 Aug 2021 02:31 AM (IST)
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में कर्नाटक हाई कोर्ट के छह अतिरिक्त जज बने स्थायी
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने कर्नाटक हाई कोर्ट के छह अतिरिक्त जजों की स्थायी जजों के रूप में और छह न्यायिक अधिकारियों की तेलंगाना हाई कोर्ट में जजों के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कोलेजियम की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई और इस आशय का बयान गुरुवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

कर्नाटक हाई कोर्ट के जिन जजों को स्थायी जज नियुक्त किया गया है, उनके नाम हैं- जस्टिस नेरानाहल्ली श्रीनिवास संजय गौड़ा, जस्टिस ज्योति मुलिमणि, जस्टिस नटराज रंगास्वामी, जस्टिस हेमंत चंदनागौदर, जस्टिस प्रदीप सिंह येरुर और जस्टिस महेशन नागप्रसंना। जबकि तेलंगाना हाई कोर्ट में जजों के रूप में प्रोन्नत न्यायिक अधिकारियों में पी. श्री सुधा, सी. सुमन लता, डा. जी. राधा रानी, एम. लक्ष्मण, एन. तुकारामजी और ए. वेंकटेश्वर रेड्डी शामिल हैं।

कोलेजियम ने कलकत्ता हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज कौशिक चंद की भी स्थायी जज के रूप में नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की है। साथ ही आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की सदस्य पी. माधवी देव की तेलंगाना हाई कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।

बता दें कि तीन सदस्यीय कोलेजियम में जस्टिस रमना के अलावा जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एएम खानविलकर शामिल हैं।

बाहरी दबाव से प्रभावित ना हों जज: रमना

वहीं, पिछले दिनों भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने जोर देकर कहा कि जजों को किसी भी कीमत पर बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए। फैसला देते समय निष्पक्षता बरतना आसान नहीं होता है, लेकिन एक न्यायाधीश को पूर्वाग्रहों से दूर रहने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित जस्टिस नवीन सिन्हा के विदाई समारोह में बोलते हुए सीजेआइ ने कहा था कि फैसला लेने की प्रक्रिया ज्ञान और कानून के सिद्धांत से परे है। इसके लिए नैतिक साहस की जरूरत होती है, जो कई लोगों को नाराज कर सकती है। ऐसे में न्यायाधीशों के लिए आवश्यक है कि वे बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं हों।

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