केरल में कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं होने से बिगड़े हालात, केंद्रीय टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से केरल में महामारी बेकाबू हुई है। केंद्र की ओर से भेजी गई छह सदस्यीय टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट ने कोरोना प्रबंधन के कथित केरल माडल की पोल खोल दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:46 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:46 PM (IST)
केरल में कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं होने से बिगड़े हालात, केंद्रीय टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
केंद्रीय टीम ने कहा- टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन का नहीं हो रहा पालन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से केरल में महामारी बेकाबू हुई है। केंद्र की ओर से भेजी गई छह सदस्यीय टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। टीम का नेतृत्व नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल के निदेशक डाॅ. एसके सिंह कर रहे थे। रिपोर्ट ने कोरोना प्रबंधन के कथित केरल माडल की पोल खोल दी है।

केंद्रीय टीम ने कहा- टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन का नहीं हो रहा पालन

केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के अनुसार केरल में न तो कांट्रैक्ट ट्रेसिंग हो रही है और न ही संक्रमित व्यक्तियों पर निगरानी की कोई प्रणाली है। केरल के मलप्पुरम जिले, जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले आ रहे हैं, में एक संक्रमित व्यक्ति पर औसतन केवल 1.5 व्यक्तियों की कोरोना की जांच की जा रही है। जबकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की गाइडलाइंस में एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले कम से कम 20 व्यक्तियों की पहचान कर कोरोना की जांच सुनिश्चित करने को कहा गया है।

कांट्रैक्ट ट्रेसिंग के अभाव में संक्रमित व्यक्ति फैला रहे संक्रमण: केंद्रीय टीम

जाहिर है कांट्रैक्ट ट्रेसिंग के अभाव में बिना लक्षण या सामान्य लक्षण वाले संक्रमित व्यक्ति भी आसानी से घूम-फिर रहा है और दूसरे लोगों को संक्रमण फैला रहा है।

केंद्रीय टीम ने कहा- सिर्फ गंभीर लक्षण वालों की ही जांच

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केरल में केवल उन्हीं व्यक्तियों की कोरोना जांच हो रही है, जिनमें गंभीर लक्षण दिख रहे हैं। यानी राज्य सरकार बिना लक्षण या सामान्य लक्षण वाले संक्रमितों की पहचान की कोई कोशिश नहीं कर रही है। परिणामस्वरूप जांच के साप्ताहिक आंकड़ों में लगातार गिरावट आ रही है और इसकी वजह से संक्रमण दर ज्यादा बनी हुई है। ध्यान देने की बात है कि केरल के 10 जिलों में संक्रमण दर 10 फीसद से ऊपर बना हुआ है।

मानकों के मुताबिक जांच नहीं: केंद्रीय टीम

टीम ने कहा है कि राज्य में जांच में भी लापरवाही बरती जा रही है। आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट के सही अनुपात का पालन नहीं किया जा रहा है। आइसीएमआर लगातार जांच में 70 फीसद आरटी-पीसीआर और 30 फीसद रैपिड एंटीजन टेस्ट का अनुपात बनाने की सलाह दे रहा है। लेकिन केरल के कई जिलों में आरटी-पीसीआर 20 फीसद और रैपिड एंटीजन टेस्ट 80 फीसद हो रहा है।

लोगों को अलग रखने का प्रयास भी नहीं

केरल सरकार संक्रमित लोगों को सरकारी आइसोलेशन सेंटर में रखने का प्रयास भी नहीं कर रही है। अधिकांश संक्रमित अपने घरों में रह रहे हैं और इसके कारण पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है।

माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने में भी मिली घोर लापरवाही

केरल में कोरोना प्रबंधन की खास्ताहाल स्थिति को बयान करते हुए टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने में भी लापरवाही देखने को मिल रही है।

कंटेनमेंट जोन के आस-पास के इलाकों में बफर जोन बनाकर

कोरोना प्रबंधन के केरल माडल की खुली पोलउनकी टे¨स्टग का कोई प्रबंध नहीं किया गया है।

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