सीतारमण ने संसद में कहा- कोरोना के चलते आर्थिक संकट से उबरने के लिए मोदी सरकार की नहीं है नोट छापने की योजना
बीते वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 7.3 फीसद गिरावट का अनुमान है। उनका कहना था कि सरकार ने कोरोना संकट के दौरान पिछले वर्ष से अब तक अभूतपूर्व उपाय किए हैं जिनके चलते बीते वित्त वर्ष में विकास दर की गिरावट इस स्तर पर सिमटती दिख रही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद को बताया कि नोट छापने को मौजूदा संकट का विकल्प बनाना सरकार की योजना में शामिल नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संकट से उबरने के लिए नोट छापने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।
सीतारमण ने कहा- जीडीपी में 7.3 फीसद गिरावट का अनुमान
सीतारमण ने बताया कि बीते वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 7.3 फीसद गिरावट का अनुमान है। उनका कहना था कि सरकार ने कोरोना संकट के दौरान पिछले वर्ष से अब तक अभूतपूर्व उपाय किए हैं, जिनके चलते बीते वित्त वर्ष में विकास दर की गिरावट इस स्तर पर सिमटती दिख रही है।
अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने मोदी सरकार को दी करेंसी नोट छापने की सलाह
कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने सरकार को कोरोना संकट से पैदा हुई मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से उबरने के लिए करेंसी नोट छापने और रोजगार बचाने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि नोट छापने को राजकोषीय घाटे का मौद्रीकरण कहा जाता है। इसके तहत सरकार के खर्च की भरपाई के लिए आरबीआइ सरकारी सिक्युरिटीज की प्राथमिक बाजार से खरीदारी कर लेता है।
पेगासस मुद्दे पर संसद में हंगामा जारी
संंसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही की शुरुआत से पहले सोमवार को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध में शहीद वीर जवानों को श्रद्धांंजलि दी गई। राज्यसभा और लोकसभा में आज फिर से विपक्ष ने पेगासस मुद्दे पर हंगामा किया और दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। 4 बजे एक बार फिर से राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं दो विधेयकों को चर्चा के बाद लोकसभा में पारित किया गया और सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा अध्यक्ष ने जताई थी नाराजगी
विपक्ष के हंगामे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नाराजगी जताई। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के हंगामे पर उन्होंने कहा, 'सरकार जवाब देना चाहती है। आप नारेबाजी करके जवाब मांग रहे हैं, यह उचित नहीं है।' बता दें कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत ही हंगामे के साथ हुई और उसके बाद से कार्यवाही बाधित ही रही है। पिछले हफ्ते पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानून विरोधी आंदोलन सहित अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी हंगामे के कारण संसद चल नही सकी। केवल राज्यसभा में सिर्फ एक दिन कुछ घंटों के लिए बहस हुई। बता दें कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ है और 13 अगस्त को समाप्त होगा।
लोकसभा में पारित हुए दो विधेयक
विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में आज दो विधेयक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक (National Institute of Food Technology Enterpreneurship and Management Bill) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट बिल 2021 और फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक 2020 पारित हुआ। फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक 2020 के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त रास्ते सुलभ कराने का प्रस्ताव किया गया है। फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को निचले सदन में 14 सितंबर को पेश किया गया था । इसके माध्यम से फैक्टर विनियमन अधिनियम 2011 में संशोधन किया जा रहा है।