तेलंगाना : एसआइओ ने की मांग, स्कूल पाठ्यक्रम से हटाया जाए 'इस्लामोफोबिक' कंटेंट

यह अध्याय राष्ट्रीय आंदोलन-अंतिम चरण 1919-1947 में प्रकाशित किया गया था। एसआइओ तेलंगाना के अध्यक्ष डा तलहा फैयाजुद्दीन ने इस्लामोफोबिक सामग्री के प्रकाशन की निंदा की और राज्य के शिक्षा मंत्री पी. सबिता इंद्र रेड्डी से प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 03:48 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 03:48 PM (IST)
तेलंगाना : एसआइओ ने की मांग, स्कूल पाठ्यक्रम से हटाया जाए 'इस्लामोफोबिक' कंटेंट
यह अध्याय 'राष्ट्रीय आंदोलन-अंतिम चरण 1919-1947' में प्रकाशित किया गया था

हैदराबाद, आइएएनएस। स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गनाइजेशन आफ इंडिया (एसआइओ) ने तेलंगाना सरकार से कक्षा आठ के स्कूली पाठ्यक्रम से 'इस्लामोफोबिक' सामग्री हटाने की मांग की है। दरअसल कक्षा आठ के सोशल स्टडीज के प्रश्न बैंक में एक तस्वीर छापी गई है जिसमें आतंकवादी को दाहिने हाथ में एक राकेट लांचर और बाएं हाथ में कुरान पकड़े हुए दिखाया गया है। एसआइओ ने इस तस्वीर को लेकर कड़ा विरोध जताया है और पाठ्यक्रम से इस्लामोफोकि सामग्री हटाने की मांग की है।

यह अध्याय 'राष्ट्रीय आंदोलन-अंतिम चरण 1919-1947' में प्रकाशित किया गया था। एसआइओ तेलंगाना के अध्यक्ष डा तलहा फैयाजुद्दीन ने 'इस्लामोफोबिक' सामग्री के प्रकाशन की निंदा की और राज्य के शिक्षा मंत्री पी. सबिता इंद्र रेड्डी से प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्री छात्रों के दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।

एक व्यक्ति को उसके दाहिने हाथ में एक बंदूक और बाएं हाथ में पवित्र कुरान पकड़े हुए दिखाना, मुस्लिम समुदाय के प्रति रूढ़िवादी, घृणास्पद और इस्लामोफोबिक दृष्टिकोण का निर्माण और प्रचार कर रहा है। यह एक भेदभावपूर्ण सामग्री है जो सद्भाव, एकता और समाज की अखंडता को नष्ट कर देती है। संगठन ने कहा कि शांति शिक्षा और शैक्षणिक संस्थानों में शांति पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों के मन में शांति का संचार होना चाहिए।

संगठन ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय से इस तरह की विचलित करने वाली सामग्री को मंजूरी नहीं देने और इस तरह के गैर-जिम्मेदार और प्रचारक व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। एसआइओ ने मांग की कि प्रकाशक तुरंत इस तरह की सामग्री को हटा दें और संस्करण को फिर से प्रकाशित करें। इस बीच, प्रकाशन को सोशल मीडिया की तरफ से कई प्रतिक्रियाएं भी मिली हैं। नागरिक आश्चर्य में हैं कि तेलंगाना में एक धर्मनिरपेक्ष सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में इस तरह की सामग्री की अनुमति कैसे दी।

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