हाथरस मामले में केरल के पत्रकार मामले की जांच में चौंकाने वाले निष्कर्ष : यूपी सरकार

हाथरस कांड के बाद मचे बवाल के बीच वहां जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन की गिरफ्तारी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कहा कि पत्रकार के खिलाफ जांच में चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 06:34 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 06:43 PM (IST)
हाथरस मामले में केरल के पत्रकार मामले की जांच में चौंकाने वाले निष्कर्ष : यूपी सरकार
केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन और सु्प्रीम कोर्ट की फाइल फोटो।

 नई दिल्ली, प्रेट्र। हाथरस कांड के बाद मचे बवाल के बीच वहां जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन की गिरफ्तारी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कहा कि पत्रकार के खिलाफ जांच में 'चौंकाने वाले निष्कर्ष' सामने आए हैं। कप्पन ने केरल के जिस दैनिक अखबार के लिए काम करने का दावा किया था, वह दो साल पहले 2018 में ही बंद हो चुका है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह जानकारी दी। 

कोर्ट केरल श्रमिक पत्रकार संघ (केयूडब्ल्यूजे) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने याची से पूछा कि क्या वह हाई कोर्ट जाना चाहेगा। कप्पन को 5 अक्टूबर को हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था। उप्र सरकार ने हाल ही में दाखिल अपने हलफनामे में दावा किया था कि कप्पन पत्रकारिता के नाम पर एक साजिश के तहत जातीय विभेद पैदा करने और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की नीयत से हाथरस जा रहा था। 

केयूडब्ल्यूजे की ओर पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में अन्य आरोपितों के मामले में हाई कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर एक महीने का समय दिया है। लिहाजा वह वह शीर्ष अदालत में ही अपनी बात रखेंगे।इस पर मेहता ने कहा कि वकील कप्पन से मिल चुके हैं और आरोपित यहां पक्षकार नहीं है। सिब्बल ने जब पत्रकार अर्नब गोस्वामी को शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिलने की दलील दी तो कोर्ट ने कहा कि हर मामला अलग होता है। हम मामले की सुनवाई कानून के मुताबिक ही करेंगे और इस केस की सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ सुनवाई अगले सप्ताह के लिए मुकर्रर कर दी।

पीड़ि‍ता की फोटो प्रकाशन मामले में सुनवाई से इन्कार

शीर्ष अदालत ने हाथरस प्रकरण से ही जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई से इन्कार कर दिया, जिसमें पीडि़ता की फोटो मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि वह कानून नहीं बना सकता और याची इस मामले में सरकार से अपनी बात कह सकते हैं।

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