DATA STORY: दिल्ली में पीएम 2.5 के प्रदूषण में पराली जलने का क्या है शेयर, जानें यहां

कई शोध इस बात की तस्दीक करते हैं प्रदूषण और कोरोना में करीबी संबंध हैं। शोध कहते हैं कि फ्लू और मौत के मामले अधिक प्रदूषण के समय फैलते हैं। वहीं दिल्ली पंजाब और हरियाणा के बीच लगातार राजनीति चलती रहती है। सभी सरकारें एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ती रहती हैं।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 02:20 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 04:14 PM (IST)
DATA STORY: दिल्ली में पीएम 2.5 के प्रदूषण में पराली जलने का क्या है शेयर, जानें यहां
दिल्ली में हवा की गति भी प्रदूषण को बिगाड़ती है। अगर हवा धीमी चलेगी तो पीएम 2.5 हवा में रहेगा।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। सर्दियों के मौसम में दिल्ली में बेकाबू प्रदूषण रहता है। इसकी वजह से लोगों को सेहत से जुड़ी तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की कुछ समय पहले आई रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण की वजह से भारत में आदमी की औसत आयु में 5.2 वर्ष (डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप) और राष्ट्रीय मानकों के अनुसार 2.3 वर्ष कम हो रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली में अगर यही स्तर जारी रहा तो लोगों की आयु औसतन 9.4 साल कम हो जाएगी। यह एक सर्वविदित सत्य है कि पीएम 2.5 का लंबे समय तक हवा में रहने से करोड़ों करोड़ फेफड़ों और दिल के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।

कई शोध इस बात की तस्दीक करते हैं प्रदूषण और कोरोना में करीबी संबंध हैं। शोध कहते हैं कि फ्लू और मौत के मामले अधिक प्रदूषण के समय फैलते हैं। वहीं, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के बीच लगातार राजनीति चलती रहती है। सभी सरकारें एक-दूसरे पर प्रदूषण की समस्या का ठीकरा फोड़ती रहती हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकॉस्टिंग की रिपोर्ट के अनुसार, पराली जलने का जो पीक समय होता है, उस दौरान दिल्ली में 50 फीसदी प्रदूषण का कारण यही होता है।

हवा भी बिगाड़ती है दिल्ली में प्रदूषण का मिजाज

दिल्ली में हवा की गति भी प्रदूषण के मिजाज को बिगाड़ती है। अगर हवा धीमी चलेगी तो पीएम 2.5 हवा में समाहित रहेगा, जिससे प्रदूषण बढ़ेगा। अक्टूबर के पहले हफ्ते और नवंबर के पहले हफ्ते में मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों ने दिल्ली की हवा इस साल खराब कर दी। हवा की कम गति और कम तापमान की वजह से पीएम कण हवा में समाहित हो जाते है। दिल्ली में नवंबर के पहले हफ्ते में उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने पंजाब के स्मोक को दिल्ली की तरफ ला दिया। 10-12 नवंबर के दौरान हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ, जिससे प्रदूषण कम हुआ।

आईआईटी ने दिया सेंसर बढ़ाने का सुझाव

आईआईटी कानपुर ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें दिल्ली प्रदूषण को मापने वाले सेंसर को बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं। इस रिपोर्ट को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के सदस्य और कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी और कानपुर आईआईटी के निदेशक अभय कारंदिकर ने तैयार किया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि नजफगढ़ क्षेत्र में पराली जलने की घटनाएं होती हैं। वहां पर तीस किलोमीटर में एक मॉनिटरिंग स्टेशन है। वहीं धौलाकुआं में हैवी ट्रैफिक होता है, वहां से आठ किलोमीटर की दूरी पर आर के पुरम में एक मॉनिटरिंग स्टेशन है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में अभी 36 मॉनिटरिंग स्टेशन है, जबकि यहां पर 200-300 एयर क्वालिटी सेंसर होने चाहिए। बीजिंग और लंदन जैसे शहरों में सैकड़ों की तादाद में मॉनिटरिंग स्टेशन है जिससे वहां हवा की गुणवत्ता का सही मापन संभव है।  

chat bot
आपका साथी