अक्टूबर में कोविशील्ड वैक्सीन की करीब 22 करोड़ डोज की आपूर्ति करेगी सीरम इंस्टीट्यूट

कंपनी ने 31 दिसंबर तक 66 करोड़ डोज की आपूर्ति करने की बात भी कही। सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) ने सरकार को बताया है कि वह अक्टूबर में उसे कोविशील्ड की करीब 22 करोड़ डोज उपलब्ध कराएगी।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:45 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:45 AM (IST)
अक्टूबर में कोविशील्ड वैक्सीन की करीब 22 करोड़ डोज की आपूर्ति करेगी सीरम इंस्टीट्यूट
सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) करेगी 22 करोड़ डोज की आपूर्ति।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार द्वारा 'टीका मैत्री' कार्यक्रम के तहत चौथी तिमाही में अतिरिक्त टीकों का निर्यात फिर से शुरू किए जाने की घोषणा के बीच सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) ने सरकार को बताया है कि वह अक्टूबर में उसे कोविशील्ड की करीब 22 करोड़ डोज उपलब्ध कराएगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।एसआइआइ में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने सोमवार को केंद्र को एक पत्र भेज कर कहा कि कंपनी ने कोविशील्ड की अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है और यह अक्टूबर में भारत सरकार और निजी अस्पतालों को टीके की 21.90 करोड़ डोज की आपूर्ति करने में सक्षम होगी।

कंपनी ने यह भी बताया कि जनवरी से 19 सितंबर की शाम तक उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविशील्ड की 66.33 करोड़ डोज मुहैया कराई है। इसके अलावा राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को 7.77 करोड़ से अधिक डोज भी उपलब्ध कराई गई हैं। सिंह ने कहा पत्र में यह भी कहा है कि समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए 31 दिसंबर तक कंपनी 66 करोड़ डोज के नवीनतम हालिया आपूर्ति आर्डर को पूरा करेगी।

फाइजर-माडर्ना से टीके नहीं खरीदेगी सरकार

समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक सरकार अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और माडर्ना से कोरोना रोधी टीका नहीं खरीदेगी। सूत्रों ने बताया कि घरेलू स्तर पर टीकों की पर्याप्त उपलब्धता हो गई है। विदेशी टीकों की तुलना में स्वदेश निर्मित टीके न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि इन्हें कहीं भी लाने ले जाने और लगाने में आसानी है।

ब्रिटेन ने विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ बूस्टर टीके का परीक्षण शुरू किया

ब्रिटेन ने 60 साल से अधिक आयु के लोगों के बीच कोरोना वायरस के विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ बूस्टर टीका के पहले चरण का परीक्षण शुरू किया है।अमेरिकी दवा कंपनी ग्रिटस्टोन ने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से जीआरटी-आर910 से जुड़े इस परीक्षण को शुरू किया है। यह पहली पीढ़ी के कोरोना टीकों की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए दवा की क्षमता का पता लगाएगा।

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