सेप्सिस की मिनटों में पहचान करेगी नई जांच

सेप्सिस से घबराने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने ऐसी जांच विकसित की है जो कुछ मिनटों में सेप्सिस की पहचान कर सकती है। इससे हजारों जान बचाने में मदद मिलेगी।

By Jagran News NetworkEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 05:46 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 05:46 PM (IST)
सेप्सिस की मिनटों में पहचान करेगी नई जांच
सेप्सिस की मिनटों में पहचान करेगी नई जांच

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किफायती जांच विकसित की है, जो महज कुछ मिनटों के अंदर सेप्सिस की पहचान कर सकती है। इस नई जांच से हजारों जिंदगियों को बचाने में मदद मिल सकती है। सेप्सिस दुनिया में मौत के प्रमुख कारकों में है। यह खून में बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। इसके चलते कई अंग तक काम करना बंद कर देते हैं। यह संक्रमण किसी मामूली खरोंच या कट जाने से भी हो सकता है।

ब्रिटेन की स्ट्रेथक्लाइड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, नई जांच में एक बायोसेंसर डिवाइस माइक्रोइलेक्ट्रोड के इस्तेमाल से रक्‍त में सेप्सिस के बायोमार्कर इंटरल्यूकिन-6 (आइएल-6) का पता लगाया जाता है। रक्त में इस मोलेक्यूल का उच्च स्तर होना सेप्सिस का संकेत हो सकता है। आकार में यह डिवाइस छोटी है और मोलेक्यूल का महज दो-ढाई मिनट में पता लगा सकती है। जबकि मौजूदा जांच में 72 घंटे तक का समय लग जाता है। 

हृदय रोग से बचाव कर सकती है पर्याप्त नींद

स्वस्थ तन और मन के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। इसके अभाव में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि पर्याप्त नींद से हृदय रोग से बचाव में मदद मिल सकती है। अच्छी नींद से धमनियों में प्लैक जमा नहीं हो पाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, पर्याप्त नींद के अभाव में इंफ्लेमेटोरी ह्वाइट ब्लड सेल्स की उत्पत्ति बढ़ जाती है।

इससे एथेरोस्क्लेरोसिस रोग का खतरा बढ़ जाता है। धमनियों की दीवारों में कोलेस्ट्राल प्लैक के जमा होने से यह समस्या खड़ी होती है। इसके चलते रक्‍त प्रवाह में बाधा खड़ी हो जाती है। अमेरिका के मैसाच्यूसेट्स जनरल अस्पताल के शोधकर्ता फिलिप स्विरस्की ने कहा, 'हमने यह पता लगाया है कि नींद से बोन मैरो में इंफ्लेमेटोरी सेल्स की उत्पत्ति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।' 

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