कोर्ट रूम में प्रत्यक्ष तौर पर हो कुछ मामलों की सुनवाई, SC कमिटी का सुझाव
जिन मामलों की सुनवाई अंतिम चरण में है उन्हें वर्चुअली नहीं बल्कि तीन अलग-अलग कोर्टरूम में आकर सुनवाई की सुप्रीम कोर्ट आयोग ने पेशकश की है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सात जजों की एक कमिटी की ओर से प्रस्ताव दिया गया है कि जिन मामलों की सुनवाई अंतिम चरण में है उसके लिए तीन कोर्ट रूम में प्रत्यक्ष यानि फिजिकली मौजूदगी के साथ निपटाया जाए। कमिटी ने कहा कि 20 मार्च से कोर्ट में रुकी फिजिकल सुनवाई 10-15 दिन के बाद फिर से शुरू की जाए। सुप्रीम कोर्ट की इस कमिटी ने अपनी पेशकश चीफ जस्टिस एसए बोबडे के सामने रख दिया है और अनुमति मांगी है कि 15 दिन बाद तीन कोर्ट रूम में फिजिकल हियरिंग के लिए अनुमति दी जाए।
कोविड-19 महामारी के कारण मार्च में कोर्ट के सभी काम-काज वर्चुअली करने का फैसला लिया गया था। अब तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए मामले की सुनवाई की जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड्स एसोसिएशन (SCAORA) के विवेक नारायण शर्मा ने कहा, 'मौजूदा हालात को देखते हुए यह फैसला उचित है लेकिन जो कोर्ट में सुनवाई के लिए जाएंगे उन्हें पूरी तरह से सतर्क रहना होगा।'
सात जजों की समिति में ये हैं शामिल-
फिजिकल सुनवाई का प्रस्ताव देने वाले सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की कमिटी में जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, यूयू ललित, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव शामिल हैं। इस प्रस्ताव को पेश करने से पहले कमिटी ने सीनियर मेडिकल एक्सपर्ट से सलाह भी ली है। बार काउंसिल के नेताओं मनन कुमार मिश्रा, दुष्यंत दवे और एस जाधव से भी इस मुद्दे पर बात हुई। बता दें कि पिछले पांच महीने से महामारी के कारण कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की जा रही है।
मेडिकल एक्सपर्ट से जब कमिटी ने इस बाबत सलाह मांगी तब कहा गया कि अधिकांश जज 60 से अधिक उम्र के हैं इसलिए कोर्ट में फिजिकल सुनवाई को फिर से शुरू करने के लिए जल्दबाजी करना बेमानी होगा।