आतंकी फंडिंग से जुड़े रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट के तार- IB, NIA समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े

रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (Railway Protection Force) ने दुबई पाकिस्तान और बांग्लादेश से चलाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय ई-टिकटिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 04:45 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 01:19 AM (IST)
आतंकी फंडिंग से जुड़े रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट के तार- IB, NIA समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े
आतंकी फंडिंग से जुड़े रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट के तार- IB, NIA समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आरपीएफ ने रेलवे में ई-टिकटों की गैरकानूनी बिक्री के ऐसे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है जिसके तार दुबई, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सिंगापुर और यूगोस्लाविया में हवाला और मनी लांड्रिंग तथा आतंकी फंडिंग से जुड़े हैं। इसका सरगना दुबई में बैठा है, जबकि भारत में बंगलूर से इसका संचालन होता है। इस सिलसिले में एजेंसियों ने ई-टिकट बुकिंग साफ्टवेयर बेचने वाले गुलाम मुस्तफा समेत 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब आइबी और एनआइए ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है।

आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भुवनेश्वर से गिफ्तार गुलाम मुस्तफा ने अपने धंधे की शुरुआत 2015 में आइआरसीटीसी के एजेंट के रूप में की थी। बाद में भारत से दुबई गए हामिद अशरफ के संपर्क में आकर इसने ई-टिकटों की गैरकानूनी बिक्री का काम शुरू कर दिया। आरपीएफ द्वारा बंगलूर में डाले गए कई छापों में बार बार गुलाम मुस्तफा का नाम सामने आ रहा था। इसलिए ट्रैकिंग कर इसे गिरफ्तार किया गया।

एक ही शख्स के पास IRCTC की 563 आईडी

पिछले दस दिनो में कर्नाटक पुलिस, आइबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी और एनआइए इससे पूछताछ कर रही है। इसके साथ 27 अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं। जबकि नेटवर्क से जुड़े 20 हजार रेलवे एजेंटों को अभी नहीं छुआ गया है। मुस्तफा के पास से आइआरसीटीसी की 563 आइडी मिली हैं। एसबीआइ की 2400 शाखाओं और 600 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में इनके खाते होने का शक है। सिंगापुर स्थित एक भारतीय कंपनी के खाते में भी इसके पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं। इस कंपनी की गतिविधियों की पहले से जांच हो रही है। बांग्लादेश और यूगोस्लाविया के मानव अंग तस्करी से जुड़े लोगों से भी इस समूह का संपर्क पाया गया है।

आतंकी फंडिंग से जुड़े तार

आरपीएफ डीजी के अनुसार 'हमें शक है कि इसका तार आतंकी फंडिंग से भी जुड़ा है। गिरोह का सरगना हामिद अशरफ पिछले साल गोंडा के स्कूल में हुए बम विस्फोट में भी शामिल था और दुबई फरार होने के बाद वहीं से ये रैकेट चला रहा है। इस नेटवर्क के मार्फत वो हर महीने 15-16 करोड़ रुपये की गैर-कानूनी कमाई कर रहा है। इसके अलावा 'गुरुजी' के कोड नाम से चर्चित एक अन्य व्यक्ति इस पूरे नेटवर्क का टेक्निकल प्रमुख है जो आइआरसीटीसी, क्रिस और आरपीएफ के सुरक्षात्मक तौरतरीकों का पता लगाकर ई-टिकटिंग वेबसाइट से कंफर्म टिकट बुक कराने के नए नए तरीके ईजाद करता रहता है। इसे फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाने में भी महारत हासिल है।

ANMS साफ्टवेयर का करते थे उपयोग

उन्होंने बताया कि इस समूह ने आपस में संपर्क करने के लिए बाकायदा यूट्यूब और वाट्सएप पर चैनल बना रखे हैं जिनमें 'गुरुजी' एजेंटों को हर समस्या का समाधान बताता है।' आइआरसीटीसी की वेबसाइट हैक करने के लिए ये लोग एएनएमएस साफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। आइआरसीटीसी की ई-टिकटिंग वेबसाइट पर जहां आम लोग ढाई मिनट में एक टिकट बुक कर पाते हैं, वहीं इस साफ्टवेयर के जरिए एक मिनट में तीन टिकट बुक हो जाते हैं। इस तरह 85 फीसद कन्फर्म टिकट इस गिरोह की गिरफ्त में चले जाते हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार गैरकानूनी बिक्री के बावजूद इन टिकटों से रेलवे को पूरा पैसा मिल जाता है। परंतु ये गिरोह कंफर्म टिकट दिलाने के नाम पर ग्राहकों से अतिरिक्त पैसे उगाह लेता है।

गिरफ्तार लोगों पर पर मुकदमा दर्ज

एजेंसियों ने 'गुरुजी' की पहचान कर ली है, लेकिन किन्हीं कारणों से अभी नाम नहीं उजागर किया जा रहा है। अब आंतरिक सुरक्षा को खतरे के कोण से इस पूरे मामले की जांच हो रही है। गिरफ्तार लोगों पर संगठित अपराध नियंत्रण कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।

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