एक लाख 72 हजार साल पहले थार रेगिस्तान होकर बहती थी नदी, आवागमन में भी होता था इसका इस्‍तेमाल

शोधकर्ताओं का कहना है कि आजकल जहां थार रेगिस्तान है वहां से होकर किसी जमाने में एक नदी बहा करती थी। बीकानेर के नजदीक से होकर 172000 साल पहले यह नदी बहती थी। यह इस इलाके में रहने वाली आबादी के लिए जीवन रेखा के समान थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:41 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 07:38 PM (IST)
एक लाख 72 हजार साल पहले थार रेगिस्तान होकर बहती थी नदी, आवागमन में भी होता था इसका इस्‍तेमाल
एक लाख 72 हजार साल पहले थार रेगिस्तान होकर बहती थी नदी, आवागमन में भी होता था इसका इस्‍तेमाल

नई दिल्ली, पीटीआइ। आजकल जहां थार रेगिस्तान है, वहां से होकर किसी जमाने में एक नदी बहा करती थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीकानेर के नजदीक से होकर 1,72,000 साल पहले यह नदी बहती थी। यह इस इलाके में रहने वाली आबादी के लिए जीवन रेखा के समान थी। यह शोधपत्र क्वाटर्नरी साइंस रिव्यू में प्रकाशित हुआ है। इसमें थार रेगिस्तान के मध्य से होकर बहने वाली इस नदी की एकदम शुरुआती गतिविधियों का विवरण दिया गया है।

शह शोधपत्र जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमन हिस्ट्री, तमिलनाडु के अन्ना विश्वविद्यालय और कोलकाता के आइआइएसईआर के अनुसंधानकर्ताओं ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि पाषाण युग के दौरान थार के इलाके में लोगों का रहन-सहन आज की तुलना में एकदम भिन्न था। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये निष्कर्ष थार मरुस्थल में घग्गर-हकरा नदी के सूखने के सुबूत हैं।

पाषाण काल में यह नदी न सिर्फ लोगों के लिए जीवन रेखा के समान थी, बल्कि आवागमन के लिए भी महत्वपूर्ण माध्यम थी। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के जिमबॉब ब्लिंकहॉर्न ने कहा कि थार रेगिस्तान का इतिहास काफी पुराना है। हमने पता लगाया है कि इस अर्ध-शुष्क इलाके में लोग न सिर्फ निवास करते थे, बल्कि उनके पास विभिन्न सुविधाएं भी थीं। हम जानते हैं कि इस क्षेत्र में रहने के लिए नदी कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। लेकिन प्रागैतिहास की प्रमुख अवधि के दौरान नदी की व्यवस्था किस तरह की थी, इस बारे में हमारे पास कोई विस्तृत जानकारी नहीं है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, उपग्रह के चित्रों के अध्ययन से पता चलता है कि चैनलों का एक सघन नेटवर्क था, जो थार रेगिस्तान से होकर गुजरता था। अन्ना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर हेमा अच्युतन ने कहा कि अध्ययन से यह पता चल सकता है कि अतीत में किस जगह से होकर नदियां और धाराएं बहती थीं। लेकिन, इसके समय के बारे में पता नहीं चलता। इसका पता लगाने के लिए रेगिस्तान के मध्य में नदी की गतिविधियों का पता लगाना पड़ा।

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