कोविड संक्रमण से मधुमेह होने का खतरा, शोधकर्ताओं ने बताई वजह

शोध में कहा गया है कि कोविड-19 का जीवाणु शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है। फेफड़े हृदय किडनी आदि में यह जीवाणु संभवत उन कोशिकाओं पर भी आक्रमण करता है जो शरीर में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन को बनाती हैं।

By Neel RajputEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:09 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:09 PM (IST)
कोविड संक्रमण से मधुमेह होने का खतरा, शोधकर्ताओं ने बताई वजह
भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सकों की रिसर्च में दावा

जबलपुर [रामकृष्ण परमहंस पांडेय]। जो पहले से मधुमेह से संक्रमित थे, उन पर कोरोना संक्रमण का घातक असर सामने आया है। परंतु जो लोग पहले से इस बीमारी से ग्रस्त नहीं थे, कोविड संक्रमण के कारण उनके मधुमेह से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ गया है। दक्षिण पश्चिम अमेरिका के अस्पताल में कार्यरत भारतीय मूल के चिकित्सकों डॉ. राजू नरासा एवं डॉ. काटकर के शोध में यह दावा किया गया है। 'कोविड संक्रमण व मधुमेह' पर आधारित शोध को अमेरिकन जर्नल में शोध पत्र के रूप में प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार, कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने वाले कई मरीज मधुमेह से ग्रस्त पाए गए, जबकि उन्हें पहले से यह बीमारी नहीं थी।

मधुमेह से ग्रस्त मिले जिन मरीजों पर शोध किया गया उनके परिवार का कोई भी सदस्य पहले से मधुमेह यानी मधुमेह की चपेट में नहीं था। शोध के संबंध में जानकारी देते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व भेषज विशेषज्ञ प्रो. डॉ. मनोज पाराशर ने बताया कि कोरोना ने मानव जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित किया है। सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य पर कोरोना ने ऐसा असर डाला कि यह बीमारी अबूझ पहेली बनी हुई है। कोरोना के नए-नए वैरिएंट सामने आए हैं, जिसके तरह-तरह के दुष्परिणाम भी नजर आ रहे हैं। वैज्ञानिक एवं चिकित्सक अभी भी इस बीमारी एवं इसके दुष्परिणाम को पूर्णत: नहीं समझ पाए हैं।

मधुमेह व कोविड में दो तरह का रिश्ता

शोध में कहा गया है कि जो व्यक्ति पहले से मधुमेह से पीड़ित हैं, उनमें कोविड संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे मरीजों में कोविड का संक्रमण गंभीर रूप धारण कर लेता है। कोविड इन मरीजों के मधुमेह नियंत्रण पर भी असर डालता है। इसकी वजह से ऐसे मरीज मधुमेह के कारण होने वाले दुष्परिणाम की चपेट में आ सकते हैं।जो मरीज पहले से मधुमेह से ग्रस्त नहीं हैं, कोविड होने के बाद वे इसकी चपेट में आ सकते हैं। शोध में ऐसे आठ मरीजों को शामिल किया गया जो कोविड संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद मधुमेह से ग्रस्त हुए।

यह है वजह : शोध में कहा गया है कि कोविड-19 का जीवाणु शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है। फेफड़े, हृदय, किडनी आदि में यह जीवाणु संभवत: उन कोशिकाओं पर भी आक्रमण करता है जो शरीर में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन को बनाती हैं। शायद इसीलिए ऐसे मरीजों के शरीर में शर्करा बढ़ जाती है और वे मधुमेह से ग्रस्त हो जाते हैं।

यह निकाला निष्कर्ष

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि कोविड से संक्रमित हो चुके लोगों को समय-समय पर खून में शर्करा की जांच करवाते रहना चाहिए। ताकि समय रहते मधुमेह का पता लगाते हुए उसका उपचार प्रारंभ किया जा सके।

सतर्क रहें पोस्ट कोविड मरीज

प्रो. डॉ. मनोज पाराशर ने बताया कि कोरोना डायबेटोजेनिक वायरस के रूप में सामने आया है। पोस्ट कोविड मरीजों में मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। शहर में भी ऐसे मरीज सामने आए जिनमें कोरोना संक्रमण के बाद मधुमेह का पता चला। कोरोना के उपचार में स्टेरायड का उपयोग किया जाता है, वह भी रक्त में शर्करा बढ़ा देता है। मधुमेह के कारण कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा सामने आया है। भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सकों की रिसर्च से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि पोस्ट कोविड मरीजों में मधुमेह का खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे लोग सेहत के प्रति सतर्क रहें।

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