टीकाकरण से मरने का जोखिम कोविड से मौत की तुलना में नगण्य, मंत्रालय ने खबरों को बताया अधूरा

टीकों के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही सरकार की समिति ने टीकाकरण के बाद एनाफिलेक्सिस की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है। रिपोर्ट के अनुसार 68 साल के एक व्यक्ति की गंभीर एलर्जी से मृत्यु हो गई।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 08:01 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 08:01 AM (IST)
टीकाकरण से मरने का जोखिम कोविड से मौत की तुलना में नगण्य, मंत्रालय ने खबरों को बताया अधूरा
मंत्रालय ने कहा कि देश में उक्त अवधि में 23.5 करोड़ लोगों को कोविड टीका लग चुका है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को उन खबरों को अधूरी और सीमित समझ वाली बताया जिनमें दावा किया गया है कि 16 जनवरी से सात जून के बीच टीकाकरण के बाद मृत्यु के 488 मामले कोविड के बाद की जटिलताओं से जुड़े थे। मंत्रालय ने कहा कि देश में उक्त अवधि में 23.5 करोड़ लोगों को कोविड टीका लग चुका है। कोरोना से मृत्यु की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु का जोखिम नगण्य है।

मंत्रालय ने कहा कि यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने वाले लोगों में मृत्यु दर एक प्रतिशत से अधिक है और टीकाकरण इन मृत्यु के मामलों को भी रोक सकता है। वहीं, टीकों के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही सरकार की समिति ने टीकाकरण के बाद एनाफिलेक्सिस की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है। राष्ट्रीय एईएफआइ समिति की रिपोर्ट के अनुसार 68 साल के एक व्यक्ति को आठ मार्च, 2021 को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी होने से उनकी मृत्यु हो गई। 

समिति ने पांच ऐसे मामलों का अध्ययन किया, जो पांच फरवरी को सामने आए थे, आठ मामले नौ मार्च को और 18 मामले 31 मार्च को सामने आए। समिति ने कहा कि केवल मृत्यु होना या रोगी का अस्पताल में भर्ती होना इस बात को साबित नहीं कर देता कि ये घटनाएं टीका लगवाने के कारण हुईं। समिति के अनुसार मौत के कुल 31 मामलों में से 18 मामलों का टीकाकरण से कोई लेना-देना नहीं पाया गया। सात मामलों को अनिश्चित की श्रेणी में रखा गया। तीन मामले टीके के उत्पाद से संबंधित थे। एक मामला चिंता और बेचैनी से जुड़ा पाया गया और दो मामलों को किसी श्रेणी में नहीं रखा गया।

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