पिछड़ों के आरक्षण का मामला: राज्यों के अधिकार पर केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

5 मई के बहुमत के उस फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया है जिसमें कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन सरकारी नौकरियों और दाखिले में आरक्षण के लिए सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को घोषित करने की राज्यों की शक्ति को छीनता है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 28 Jun 2021 08:31 AM (IST) Updated:Mon, 28 Jun 2021 08:31 AM (IST)
पिछड़ों के आरक्षण का मामला: राज्यों के अधिकार पर केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
SC में आज पिछड़ों के आरक्षण का मामला।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उसने 5 मई के बहुमत के उस फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन (102th amendment in Constitution) सरकारी नौकरियों और दाखिले में आरक्षण के लिए सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को घोषित करने की राज्यों की शक्ति को छीनता है। सुप्रीम कोर्ट आज अपने पांच मई के फैसले पर दायर केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा।

इस फैसले में राज्यों के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ों के लिए नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए आरक्षण घोषित करने के अधिकार को खत्म कर दिया गया है।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ करेगी। पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और एस रवींद्र भाट शामिल हैं।

यह पीठ केंद्र सरकार की उस अर्जी पर भी विचार करेगी जिसमें खुली अदालत में सुनवाई की मांग की गई है। बीती 13 मई को सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय ने बता दिया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के पांच मई के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। सरकार ने साफ किया है कि संविधान में 102 वां संशोधन ने राज्यों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़े चिह्नित करने के अधिकार को नहीं छीना है। इसके प्रविधानों से संघीय ढांचे को कोई नुकसान भी नहीं हुआ है।

पांच मई को जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोगों को अलग से आरक्षण देने का कानून रद कर दिया था। पीठ ने 1992 के मंडल आयोग की सिफारिश के अनुसार आरक्षण देने के बाद 50 प्रतिशत की सीमा निर्धारित किए जाने की याद दिलाई। पीठ ने ऐसी जरूरत नहीं समझी कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ा जाए।

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