सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ई-मेल से नारा और पीएम की तस्वीर हटाने का निर्देश

अब सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक इमेल एड्रेस में न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखेगी और न ही उनका नारा- सबका साथ सबका विकास। नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि प्रधानमंत्री की जगह कोर्ट की तस्वीर लगाई जाए।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 02:16 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 02:16 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ई-मेल से नारा और पीएम की तस्वीर हटाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ई-मेल से नारा और पीएम की तस्वीर हटाने का निर्देश

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ईमेल के फुटर में अंकित नारा - सबका साथ सबका विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटा दिया गया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court) ने उसके आधिकारिक ई-मेल के निचले हिस्से से 'सबका साथ सबका विकास' का केंद्र सरकार का नारा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटाने का निर्देश दिया। इसकी जगह सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर लगाने का निर्देश दिया गया है।

न्यायपालिका के कामकाज से इमेज और नारे का कोई संबंध नहीं 

मामले में एक अधिकारी की तरफ से जारी स्पष्टीकरण में यह कहा गया, 'कल देर शाम (23 सितंबर)  रजिस्ट्री के संज्ञान में यह बात सामने आई कि सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ई-मेल के निचले हिस्से में ऐसी तस्वीर दिखाई पड़ रही है, जिसका न्यायपालिका के कामकाज से कोई संबंध नहीं है।'

नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर उपलब्ध कराती है ईमेल की सुविधा 

सुप्रीम कोर्ट को ई-मेल से जुड़ी सुविधा उपलब्ध कराने वाले नेशनल इनफार्मेटिक्स सेंटर को यह निर्देश दिया गया है कि वह इस तस्वीर को हटाए और उसकी जगह सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर का इस्तेमाल करे। इस निर्देश का पालन किया गया है। इसके साथ ही एक अधिकारी ने ई-मेल का स्क्रीनशाट भी साझा किया, जिसमें अब नारा और पीएम की तस्वीर की जगह सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर नजर आ रही है।

वकीलों को सूचना या नोटिस देने के लिए होता है इस्तेमाल 

सुप्रीम कोर्ट इस ईमेल सर्विस का इस्तेमाल वकीलों को सूचना देने और नोटिस देने आदि के कामों के लिए करती है। बता दें कि कोर्ट को ईमेला सेवा की सुविधा एनआईसी देता है। सूत्रों के अनुसार यह नारा और तस्वीर अनजाने में नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर द्वारा डाली गई थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने अनजाने में हुई गलती पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की।

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