Remdesivir Injection: केंद्र सरकार पेटेंट लॉ में राहत दे तो देशभर में खत्म हो सकता है रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट
रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत से पूरा देश परेशान है। इस संकट का हल पेटेंट लॉ (कानून) में बदलाव कर निकाला जा सकता है। इस इंजेक्शन को बनाने का पेटेंट अमेरिकी कंपनी के पास है और देश में छह कंपनियां इस कानून के तहत मूल कंपनी के साथ अनुबंधित हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। कोरोना संक्रमण के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत से पूरा देश परेशान है। इस संकट का हल पेटेंट लॉ (कानून) में बदलाव कर निकाला जा सकता है। इस इंजेक्शन को बनाने का पेटेंट अमेरिकी कंपनी के पास है और देश में छह कंपनियां इस कानून के तहत मूल कंपनी के साथ अनुबंधित हैं। यह कंपनियां इंजेक्शन का उत्पादन कर देश को उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे कानूनी रूप से बाध्य हैं। यदि पेटेंट संबंधी कानून में भारत सरकार आपात स्थितियों को देखते हुए एक महीने के लिए भी विशेष प्रविधानों के तहत संशोधन कर दे तो देशभर से इस इंजेक्शन का संकट समाप्त हो सकता है।
दरअसल, रेमडेसिविर का मूल पेटेंट अमेरिका की जिलियार्ड लाइफ साइंस कंपनी के पास है। भारत में छह कंपनियों को यह इंजेक्शन बेचने की अनुमति है। पेटेंट लाॅॅ के तहत यह छह कंपनियां अन्य देशों में इंजेक्शन निर्यात तो कर सकती हैं लेकिन देश में नहीं बेच सकती हैं। इन कंपनियों के पास कच्चा माल सहित इंजेक्शन बनाने की सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध हैं। यदि केंद्र सरकार पेटेंट लॉ में छूट दे दे तो प्रत्येक कंपनी एक से सवा लाख वायल (इंजेक्शन) प्रतिदिन का निर्माण कर सकती है। यह कंपनियां क्वालिटी फार्मा (अमृतसर), भारत पेरेंटल (बड़ौदा), सीच फार्मा (अहमदाबाद), ब्रुक फार्मा (दमन), गुफिक बायो साइंस (गुजरात) और हेल्थ बायोटेक (हिमाचल) हैं।
पेटेंट लॉ और कंपनियों की मजबूरी
प्रत्येेक देश में पेटेंट लॉ है। इसके तहत जिस कंपनी के नाम पर पेटेंट होता है, वह शर्तों के साथ दूसरी कंपनियों को उत्पादन की अनुमति देती है। अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक हितों को देखते हुए इन कानूनों का सख्ती से पालन किया जाता है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना भी लगाया जाता है। केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे इन कंपनियों में उत्पादन बंद है और जो पुराना स्टाक है, वह भी पेटेंट लॉ के चलते घरेलू उपयोग के लिए बेचा नहीं जा रहा है। दवा निर्माता कंपनियों से जुड़े लोगों की सलाह है कि देश में आपात परिस्थितियों को देखते हुए सरकार इस कानून में तात्कालिक रूप से कुछ संशोधन करे और मूल कंपनी को होने वाले नुकसान की भरपाई का जिम्मा ले ले तो बात बन सकती है। प्रतिदिन छह लाख से अधिक इंजेक्शन का उत्पादन देश में हो सकता है और 30 दिन के निर्माण में इस किल्लत काेे समाप्त किया जा सकता है।
देशभर में है इंजेक्शन की किल्लत
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी सामने आ रही है। राज्य सरकारें जहां से संभव हो रहा है, विमानों से इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। मध्य प्रदेश में स्टेट प्लेन और हेलीकॉप्टरों की मदद से जिलों में इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे हैं। हालांकि मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते यह व्यवस्था अपर्याप्त साबित हो रही है। इस बीच मुनाफाखोरों का गिरोह सक्रिय हो गया है और मनमाने दामों पर इन्हें बेचा जा रहा है। दूसरी ओर, मरीजों की मौतें भी हो रही हैं।