कोरोना मरीजों के लिए गेम चेंजर बनी रेजेनरॉन की एंटीबॉडी थेरेपी, संक्रमण से मौत के मामलों में आई कमी
अध्ययन में ये बात सामने आई है कि रेजेनरॉन की एंटीबॉडी थेरेपी के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों की मौतों की संख्या में कटौती आई है। एंटीबाडी थेरेपी प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबाडी की नकल करती है।
नई दिल्ली, रॉयटर। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में इन दिनों मोनोक्लोनल एंडीबॉडी थेरेपी की खूब चर्चा हो रही है। इस बीच अध्ययन में ये बात सामने आई है कि रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल इंक (Regeneron Pharmaceuticals Inc) और स्विस फार्मा कंपनी रोशे (Roche) द्वारा विकसित एंटीबॉडी कॉकटेल के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती कुछ कोरोना संक्रमितों में मृत्यु के जोखिम को कम करता है। मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी में एक ऐसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबाडी की नकल करती है।
इस थेरेपी को संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोना वायरस के हल्के से मध्यम लक्ष्ण वाले मरीजों के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया गया है। इसमें पाया गया कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 से संक्रमित जिन मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी नहीं बना पा रही थी, एंटीबॉडी थेरेपी के इस्तेमाल से उन मरीजों की मृत्यु दर में तेजी से कमी आई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राकृतिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उत्पन्न करने वालों पर उपचार का कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं देखने को मिला है।
परीक्षण के संयुक्त मुख्य अन्वेषक मार्टिन लैंड्रे ने संवाददाताओं से कहा, 'लोगों को इस बात का बहुत संदेह है कि इस विशेष वायरस के खिलाफ कोई भी उपचार उनको अस्पताल जाने से बचा सकता है। यदि मरीजों में प्राकृतिक एंटीबॉडी नहीं बन रही है, तो आपको वास्तव में एंटीबॉडी थेरेपी से लाभ होगा। बता दें कि जिन मरीजों में कोरोना की वजह से प्राकृतिक एंटीबॉडी नहीं बनती, उन्हें सेरोनिगेटिव कहा जाता है। लैंड्रे ने कहा कि एंटीबॉडी थेरेपी उन मरीजों के अस्पताल में रहने के समय को भी कम करता है, जो सेरोनिगेटिव थे और उनकी मैकेनिकल वेंटिलेटर की आवश्यकता भी कम हो गई।