क्या ऊंचाई पर हांफ रहा है कोरोना वायरस का संक्रमण, ये हो सकते हैं कारण
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कम संक्रमण का कारण वहां की कठिन जीवनशैली और दूर रहने की आदत हो सकती है। हवा के कम दबाव के कारण वहां के लोगों के फेफड़े मजबूत होते हैं।
नई दिल्ली। क्या कोरोना वायरस ऊंचाई पर कम फैल रहा है, दुनियाभर से मिल रहे सुबूत इसी ओर इशारा कर रहे हैं। पूरी दुनिया में मैदानी या कम ऊंचाई के क्षेत्रों के मुकाबले ऊंचाई पर स्थित क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की मार कम पड़ी है। भारत में लद्दाख क्षेत्र में ही गुरुवार शाम तक महज 90 मरीज कोरोना के मिले हैं, जिनमें से 48 स्वस्थ हो चुके हैं। ऐसे ही पेरू का शहर है कोस्को। तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित शहर की आबादी चार लाख 20 हजार है।
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार 23 मार्च से तीन अप्रैल के बीच यहां कोरोना के तीन मरीजों की मौत हुई। ये सभी पर्यटक थे। इसके बाद पेरू में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। लॉकडाउन के बाद इस शहर में कोरोना के कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई। हालांकि इसी दौरान पेरू के निचले इलाकों में चार हजार मरीजों की मौत हो गई। कोस्को में संक्रमण की दर भी राष्ट्रीय दर से 80 फीसद कम रही।
ऊंचाई पर कोरोना संक्रमण की दर कम : अब शोधकर्ता ऊंचाई और कोरोना के आपसी संबंधों की जांच कर रहे हैं। रिस्पेरेटरी फिजिकोलॉजी एंड न्यूरोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शुरुआती शोध में बोलिविया से मिले डाटा के जरिये इस कनेक्शन को समझने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ इक्वाडोर और तिब्बत के मामलों का भी जिक्र किया गया है। ये तीनों क्षेत्र तीन हजार मीटर (9,842 फीट) से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं। इन तीनों जगहों में संक्रमण की दर और कोरोना से मृत्यु दर बाकी जगहों से बहुत कम है।
तिब्बत में बहुत कम संक्रमण : शेष चीन के मुकाबले तिब्बत में संक्रमण की दर तीन गुना से भी कम है। इसका मतलब है कि शेष चीन में यदि चार केस मिलते हैं तो तिब्बत में एक केस। इसी तरह बोलिविया के एंडीज पर्वत श्रृंखला वाले क्षेत्रों में चार गुना कम संक्रमण की दर है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार इक्वाडोर में 38 हजार से अधिक लोगसंक्रमित हुए हैं, जबकि 3,300 से अधिक मौतें दर्ज की जा चुकी है। बोलिविया में 8,387 लोग संक्रमित पाए गए हैं, जबकि दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित राजधानी ला पाज में 410 केस सामने आए हैं।
हाइपोक्सिया: ऑक्सीजन से वंचित शरीर के ऊतक जीव विज्ञान और चिकित्सा में हाइपोक्सिया शरीर की वह स्थिति है, जिसमें ऊतकों को ऑक्सीजन नहीं मिलती है। खून, हृदय, परिसंचरण और फेफड़ों से जुडे़ रोग हाइपोक्सिया के कारण हो सकते हैं। मॉलिक्यूल के स्तर में बढ़ोतरी के द्वारा कोशिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं और हाइपोक्सिया को अपनाती हैं, जिसे हाइपोक्सिया इंड्यूसिबल फैक्टर (एचआइएफ) कहते हैं। उच्च एचआइएफ स्तर कोशिकाओं को ऑक्सीजन की उपलब्धता के बावजूद कोशिकाओं के प्रसार में सक्षम बनाता है। वहीं अपनी सबसे उच्च अवस्था में जहां ऑक्सीजन पूरी तरह से अनुपस्थित होती है, हाइपोक्सिया को एनोक्सिया के नाम से जाना जाता है।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कम संक्रमण का कारण वहां की कठिन जीवनशैली और दूर रहने की आदत हो सकती है। हवा के कम दबाव के कारण वहां के लोगों के फेफड़े मजबूत होते हैं। शायद वहां के लोगों का एसीई2 प्रोटीन भी ज्यादा मजबूत होता होगा, जिस पर कोरोना वायरस हमला करता है।
क्लाइटोन काउल, अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फीजिशियन