कोरोना वायरस वैक्सीन के मिथक के वास्तविक तथ्य, यहां जानें तथ्यों को और स्वस्थ रहें

विश्वभर के लोगों ने कोरोना वायरस की दो लहरों की मार को झेला हैं। तीसरी लहर पिछली दोनों लहरों के मुकाबले और भी ज्यादा घातक होने वाली है। टीके को लेकर कुछ लोग वास्तविक तथ्य को भुल गए हैं और टीके को लेकर मिथक लोगों के मन में है।

By Avinash RaiEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:33 PM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 10:38 PM (IST)
कोरोना वायरस वैक्सीन के मिथक के वास्तविक तथ्य, यहां जानें तथ्यों को और स्वस्थ रहें
कोरोना वायरस वैक्सीन के मिथक के वास्तविक तथ्य, यहां जानें तथ्यों को और स्वस्थ रहें

नई दिल्‍ली, जेएनएन। विश्वभर के लोगों ने कोरोना वायरस की दो लहरों की मार को झेला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर पिछली दोनों लहरों के मुकाबले और भी ज्यादा घातक होने वाली है। अधिक घातक होने से पहले सरकार कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान चला रही हैं। भारत में अबतक कोरोना वैक्सीन के 50 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि 40 करोड़ से 50 करोड़ डोज लगने में केवल 20 दिन ही लगे यानी इन 20 दिनों में 10 करोड़ डोज लगाई गई। कोरोना वैक्सीन के 50 करोड़ डोज लगने पर पीएम मोदी ने भी ट्वीट करके खुशी जताई है। टीके को लेकर कुछ लोग वास्तविक तथ्य को भूल गए हैं और टीके को लेकर कई तरह के मिथक लोगों के मन में है।

लोगों के मन में वैक्सीन के मिथक और वास्तविक तथ्य-

1- मिथक : टीके को बनाने में जल्दबाजी की गई जिसकी वजह से टीके सुरक्षित नहीं है।

तथ्य : ऐसा नहीं है कि कोविड-19 टीके के लिए सुरक्षा और परीक्षण प्रोटोकॉल को दरकिनार किया गया। टीके सुरक्षित और प्रभावी है यह साबित करने के लिए टीकों को परीक्षणों से गुजरना पड़ता है ।

2- मिथक: कोरोना के टीके आपके डीएनए को बदल देगें।

तथ्य: टीके शरीर को एंटीबॉडी बनाते है जिससे शरीर को भविष्य में संक्रमण से बचाया जा सकें। टीकों में मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) होता है, जो शरिर की कोशिकाओं को 'स्पाइक प्रोटीन' बनाने का निर्देश देता है। इस प्रोटीन से हमारी बॉडी एंटीबॉडी बना जाती है। एमआरएनए कभी भी कोशिका के केंद्र में प्रवेश नहीं करता है, जहां हमारा डीएनए (आनुवंशिक सामग्री) होता है।

3- मिथक: लोग यह समझते हैं कि उनको अगर पहले ही कोरोना हो चुका है, तो टीका लगाने की आवश्यकता नहीं है।

तथ्य: स्वास्थ्य अधिकारी उन लोगों को भी टीका लगाने की सलाह देते हैं जिन्हें पहले कोरोना हुआ है। हालाँकि, संक्रमण के बाद कम से कम 90 दिनों के बाद ही टीके लेने की सलाह दी जा सकती है।

4- मिथक: कोरोना टीके के गंभीर दुष्प्रभाव और एलर्जी होने का खतरा।

तथ्य: टीके से हल्के दुष्प्रभाव या एलर्जी हो सकती है। जिसमें थकान, सिरदर्द, इंजेक्शन लगाए गए भाग के आसपास दर्द या उसका लाल

होना और मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द शामिल हैं। टीकों से गंभीर दुष्प्रभाव और एलर्जी होने का खतरा नहीं हैं।

5- मिथक: कोरोना टीके में ट्रैकिंग डिवाइस है।

तथ्य: ऐसी अफवाह सोशल मीडिया से लोगों तक फैलाई जाती है, जिसमे टीकों के बारे में ऐसे झूठे दावे किए जाते है। बोला जाता है कि सिरिंज के अंदर एक माइक्रोचिप होता है जो वैक्सीन की खुराक के तैर पर दी जा रहीं है। मगर यह एक खबर एक अफवाह है।

6- मिथक: कोरोना टीकों से पुरुषों और महिलाओं को बांझपन का सामना करना पढ़ सकता है।

तथ्य: स्पाइक प्रोटीन और प्लेसेंटल प्रोटीन के बीच एक एमिनो एसिड अनुक्रम साझा किया जाता है। पुरुषों और महिलाओं के बांझपन पर अभी तक कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है, जो यह साबित कर सकें कि कोरोना टीकों के कारण बांझपन होता है। इसलिए इस तरह की अफवाह पर लोगों को ध्यान नहीं देना चाहिए।

7- मिथक: टीके लगने के बाद मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं है।

तथ्य: जब तक सभी लोगों को टीके लगा कर सुरक्षित नहीं कर दिया जाता तब तक सार्वजनिक रूप से मास्क लगाना, हाथ धोना और शारीरिक दूरी बनाना आवश्यक है। पूरी तरह से टीका लगाए गए लोग बिना मास्क पहने अन्य पूर्ण टीकाकरण वाले लोगों से मिल सकते हैं।

8- मिथक: आपकों टीके से कोरोना हो सकता हैं।

तथ्य: नहीं, आपकों टीके से कोरोना नहीं हो सकता, इस टीके में लाइव वायरस नहीं होता है।

9- मिथक: कोरोना टीके से दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा होता है।

तथ्य: कोरोना टीके प्राप्त करने के बाद इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि लोगों को दूसरी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा हो।

10- मिथक: कोरोना से होने वाली मौतें कम है, इसलिए टीका लगवाने की आवश्यकता नहीं है।

तथ्य: कोरोना के टीके से आप खुद को, आपने परिवार, सहकर्मियों और आपने करीबियों की रक्षा करते हैं। आपके टीका ना लगवाने से वह या आपके जान का जोखिम है। जिन लोगों को टीका लगाया जा चुका है उनमें बीमारी फैलने की संभावना कम होती है।

11- मिथक: कोरोना के टीके से नए वैरिएंट पर कई भी प्रभावी नहीं होता।

तथ्य: विशेषज्ञों द्वारा इसे बहुत ध्यान से देखा जा रहा हैं। यदि टीके में बदलाव की आवश्यकता होती हैं, तो टीकों को नए रूप में बदला जाएगा। संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए टीके लगवाना जरूरी है।

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