आयुर्वेद को लेकर एलोपैथ के डॉक्‍टरों की चिंताओं पर जानें क्‍या कहते हैं एम्‍स के पूर्व निदेशक

आयुर्वेद पद्धति और इसके चिकित्‍सकों को लेकर एलोपैथिक डॉक्‍टरों में कुछ चिंताएं साफतौर पर दिखाई देती हैं। इस पर नई दिल्‍ली स्थित एम्‍स के पूर्व निदेशक की राय बेहद साफ है। उनका कहना है कि यदि वे दक्ष हैं तो सर्जरी कर सकते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 01:37 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 01:37 PM (IST)
आयुर्वेद को लेकर एलोपैथ के डॉक्‍टरों की चिंताओं पर जानें क्‍या कहते हैं एम्‍स के पूर्व निदेशक
सर्जरी करने के लिए डॉक्‍टर का दक्ष होना बेहद जरूरी है।

डॉ. एमसी मिश्रा। यदि आयुर्वेद के डॉक्टर सर्जरी में दक्ष हैं तो वे सर्जरी कर सकते हैं। यदि कोई यह सोचता है कि आचार्य सुश्रुत ने जिन औजारों का इस्तेमाल कर सर्जरी की शुरुआत की, उन्हीं औजारों से मौजूदा दौर में ऑपरेशन करेंगे तो बात नहीं बनेगी। मौजूदा दौर में अत्याधुनिक प्रशिक्षण और संसाधनों के इस्तेमाल से ही विश्वसनीयता बढ़ेगी। इस मामले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) व एलोपैथ के डॉक्टरों को बहुत ज्यादा भावुक होने और हाय तौबा मचाने की जरूरत नहीं है। यदि लोगों को उससे फायदा नहीं होगा तो वे खुद विरोध करेंगे। आयुर्वेद के जो डॉक्टर सर्जरी करने में सक्षम हैं वे जरूर करें। 

आयुष के बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल सुविधाओं को बढ़ाने में करना चाहिए।एलोपैथी ने भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के कुछ चीजों को अपनाया हुआ है। उदाहरण के लिए एनल फिस्टुला की सर्जरी के लिए एम्स, पीजीआइएमईआइ (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान संस्थान) चंडीगढ़ सहित देश के चार-पांच मेडिकल कॉलेज ने मिलकर करीब 20 साल पहले 500 मरीजों पर ट्रायल किया था। जिसमें आयुर्वेद के क्षार सूत्र से फिस्टुला के इलाज का ट्रायल किया गया था। फिस्टुला का मानक इलाज यही है। इसलिए एक दूसरे की अच्छी चीजों को अपनाने में हर्ज नहीं है। सर्जरी के लिए सर्जन की दक्षता सबसे ज्यादा जरूरी है।

कई ऐसी सर्जरी है जो एलोपैथ में भी खास विशेषज्ञता के सर्जन ही कर पाते हैं। एमबीबीएस डॉक्टर भी सर्जरी के लिए दक्ष नहीं होते। इसलिए यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीज को किसी तरह का नुकसान नहीं होनाचाहिए। आयुर्वेद के डॉक्टर कहते हैं कि वे मरीज की निश्चेतन क्रिया(एनेस्थीसिया) नहीं कर सकते। इस वजह से आयुर्वेद के डॉक्टरों को एनेस्थीसिया (मूर्छन क्रिया) का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। जबकि एलोपैथ में मौजूदा दौर में एनेस्थीसिया एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग है। इसके बगैर सर्जरी की परिकल्पना मुश्किल है।

यदि आइएमए की चिंता यह है कि सरकार मिक्सोपैथी कर रही है तो यह समझ लेना चाहिए कि सरकार ऐसा कर ही नहीं पाएगी। अब लोग सर्जरी के विशेषज्ञ से ऑपरेशन कराने को तवज्जो देने लगे हैं। जनरल सर्जरी के कई डॉक्टर स्तन कैंसर का ऑपरेशन कैंसर सर्जरी के विशेषज्ञों से भी बेहतर करते हैं। फिर भी मौजूदा दौर में मरीज कैंसर सर्जन के पास जाना बेहतर समझते हैं। खासतौर पर शहरों में इस तरह का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है।

आयुर्वेद के स्नातकोत्तर में सर्जरी की बेहतर प्रशिक्षण के बाद प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर यह बता दें कि वे किस तरह की सर्जरी कर सकते हैं। मरीज को ऑपरेशन की जटिलता बताकर वे सर्जरी कर सकते हैं। लेकिन यदि उनके पास एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ नहीं हैं तो सर्जरी न करें। वैसे आयुष की पद्धतियों में दवाओं से इलाज पर ज्यादा विशेषज्ञता है लेकिन आयुर्वेद में यदि सर्जरी की पढ़ाई होती है तो वे ऑपरेशन कर सकते हैं।

(रणविजय सिंह से बातचीत पर आधारित)

(पूर्व निदेशक, एम्स और जनरल सर्जरी के विशेषज्ञ)

chat bot
आपका साथी