कोरोना संकट के दौरान हाईकोर्टों, जिला अदालतों ने ऑनलाइन की 25 लाख सुनवाइयां : रवि शंकर प्रसाद

केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भारत में कामकाज नहीं रुका। देश के हाईकोर्टों और जिला अदालतों ने इस संकट के दौरान डिजिटल माध्यम के जरिए करीब 25 लाख सुनवाइयां कीं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 08:52 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 08:52 PM (IST)
कोरोना संकट के दौरान हाईकोर्टों, जिला अदालतों ने ऑनलाइन की 25 लाख सुनवाइयां : रवि शंकर प्रसाद
उच्‍च न्‍यायालयों और जिला अदालतों ने इस संकट के दौरान डिजिटल माध्यम के जरिए करीब 25 लाख सुनवाइयां कीं।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने बुधवार को कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय भी भारत में कामकाज नहीं रुका। उच्‍च न्‍यायालयों और जिला अदालतों ने इस संकट के दौरान डिजिटल माध्यम (digital medium) के जरिए करीब 25 लाख सुनवाइयां कीं। सुप्रीम कोर्ट ने तो ऑनलाइन करीब 10 हजार सुनवाइयां कीं। इस महामारी ने ऐसी कई चुनौतियां पैदा कीं जिनके कानूनी समाधान की जरूरत थी।

मालूम हो कि भारत में 25 हाईकोर्ट और करीब 19 हजार जिला अदालतें हैं। रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि कोरोना के कारण दुनियाभर में लोगों का स्वास्थ्य, जीवन और सुरक्षा प्रभावित हुई लेकिन इस महामारी ने समाज को कई मौके भी उपलब्‍ध कराए। कोरोना काल में सात शहरों में डिजिटल अदालतें शुरू की गईं और करीब 25 लाख मामलों का निपटारा किया गया। इनमें से ज्‍यादातर मामले यातायात उल्लंघन के थे। यातायात मामलों में 115 करोड़ रुपए जुर्माना जुटाया गया।

केंद्रीय मंत्री ने एक डिजिटल समारोह में कहा कि सरकार ने कोरोना संकट के दौरान घर से काम करने के नियमों में छूट दी यही वजह है कि महामारी के बावजूद 85 फीसद काम जारी रहा। डिजिटल तंत्र जैसे इंटरनेट, मोबाइल फोन एवं अन्‍य तकतीकों के जरिए भारत ने दुनिया की साथ कदम से कदम मिलाकर चलना जारी रखा...

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार बहुत मजबूत डेटा सुरक्षा कानून बनाने जा रही है। इसमें यूजर्स की निजता का विशेष ध्यान रखा जाएगा ताकि उसकी मर्जी के बिना कुछ भी साझा न किया जा सके। प्रसाद ने भारत में कानून संबंधी शिक्षा के बारे में कहा कि यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि छात्रों को वैश्विक सोच रखने के साथ ही स्थानीय मसलों से जुड़ना सिखाया जाए। उन्‍होंने कहा कि कानून के अभ्यास के लिए बड़े धैर्य और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।

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