Ayodhya Ram Mandir: यहां पिछले 53 वर्षों से चल रही राम नाम की साधना, जानें क्‍या है खूबी

वीरेंद्रपुरी महाराज ने 16 अगस्त 1967 को यहां अखंड रामायण पाठ शुरू किया। 15 जुलाई 2005 को महाराजश्री के ब्रह्मलीन होने के बाद भी जारी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 06:15 AM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: यहां पिछले 53 वर्षों से चल रही राम नाम की साधना, जानें क्‍या है खूबी
Ayodhya Ram Mandir: यहां पिछले 53 वर्षों से चल रही राम नाम की साधना, जानें क्‍या है खूबी

बृजेश शुक्ला, जबलपुर। मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में गोंड राजाओं द्वारा बनाया गया 52 तालाबों में से सूपाताल प्रसिद्ध है। इस तालाब की खूबी यह है कि यह आगे की ओर से चौड़ा तथा पीछे की ओर से संकरा है। सूपे की तरह का आकार होने के कारण इसका नाम सूपाताल पड़ा। लोगों के बीच यह कहावत प्रसिद्ध है कि सू पाताल अर्थात यह सुंदर ताल भी है। इस तालाब के सड़क के किनारे बना है बजरंग मठ। जो क्षेत्र के साथ ही शहर के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। यहां पांच दशकों से अखंड रामायण पाठ चल रहा है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। 

वट वृक्ष के नीचे विराजे सभी देव

मंदिर की पूरब की दिशा में एक विशाल वटवृक्ष है। इस वृक्ष के नीचे नागा देव दिगंबर वीरेंद्र पुरी महाराज ने 16 अगस्त 1967 को अखंड मानस पाठ की धारा प्रवाहित की, जो आज भी जारी है। इस दौरान करीब 15 हजार बार से अधिक अखंड रामायण का पाठ हो चुका है। वट वृक्ष के नीचे सभी देवताओं को स्थान दिया गया है। इनमें बजरंग बिहारी, भगवान सूर्य, गणेश जी, मां सरस्वती, श्रीलक्ष्मी-नारायण, महादेव विराजे हैं। वहीं अखंड ज्योत भी प्रज्ज्वलित है।

हर साल मनाई जाती है 12 अगस्त को वर्षगांठ

इसकी खास बात यह है कि मंदिर में अखंड मानस पाठ करने वाले लोगों की कभी कमी नहीं रहती। कुछ राम भक्त ऐसे हैं, जो प्रतिदिन तय समय से पाठ करने के लिए पहुंच जाते हैं। रामचरित मानस पाठ की वर्षगांठ पर यहां 12 से 16 अगस्त तक भव्य आयोजन किया जाता है।

फौजी से संत तक का सफर

सूपाताल मठ में अखंड रामायण पाठ शुरू कराने वाले वीरेंद्र पुरी महाराज 13 अप्रैल 1926 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के देवरख गांव में जन्मे थे। उनका मूल नाम रामचंद्र साठ्ये था। वे पहले फौजी थे, बाद में 1954 में बसंत पुरी महाराज से दीक्षा ली और वीरेंद्र पुरी महाराज बन गए। पदयात्रा करते हुए वे वर्ष 1965 में जबलपुर आए और सूपाताल के प्राचीन हनुमान मंदिर में अखंड रामायण पाठ कर वापस चले गए। 1967 में वे फिर इसी स्थान पर आए। वीरेंद्रपुरी महाराज ने 16 अगस्त 1967 को यहां अखंड रामायण पाठ शुरू किया। 15 जुलाई 2005 को महाराजश्री के ब्रह्मलीन होने के बाद भी जारी है।

chat bot
आपका साथी