पटरी पर लौटी राज्यसभा, बांध सुरक्षा विधेयक पारित, प्रवर समिति को सौंपने की विपक्ष की मांग हुई खारिज

सरकार की उच्च प्राथमिकता में होने की वजह से बांध सुरक्षा विधेयक को सबसे पहले पेश करके पारित कराया गया। राज्यसभा में दोपहर के भोजनावकाश के बाद विधेयक पर बहस शुरू हुई और विपक्षी दलों से चर्चा कराने के बाद देर शाम पारित करा लिया गया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:57 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 10:38 PM (IST)
पटरी पर लौटी राज्यसभा, बांध सुरक्षा विधेयक पारित, प्रवर समिति को सौंपने की विपक्ष की मांग हुई खारिज
लोकसभा से विधेयक पहले ही हो चुका है पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में कई दिनों बाद गुरुवार को दोपहर बाद से कामकाज पटरी पर लौट आया। बहुप्रतीक्षित बांध सुरक्षा विधेयक, 2019 लंबी चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। विधेयक को पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति के पास भेजे जाने का विपक्ष का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया, जिसके लिए मतविभाजन कराना पड़ा। देश के बांधों की सुरक्षा के लिए अति-महत्वपूर्ण यह विधेयक लोकसभा से 2019 में ही पारित हो चुका है।

सरकार की उच्च प्राथमिकता में होने की वजह से बांध सुरक्षा विधेयक को सबसे पहले पेश करके पारित कराया गया। राज्यसभा में दोपहर के भोजनावकाश के बाद विधेयक पर बहस शुरू हुई और विपक्षी दलों से चर्चा कराने के बाद देर शाम पारित करा लिया गया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बुधवार को विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक को प्रस्तुत किया था, लेकिन शोरशराबा और सदन स्थगित होने की वजह से इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी। सरकार पहले ही साफ कर चुकी थी कि विधेयक को विपक्ष के साथ विचार-विमर्श के बाद ही पारित कराया जाएगा।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने चर्चा के दौरान विधेयक संसदीय प्रवर समिति के पास विचारार्थ भेजने की मांग की। उन्होंने विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने वाला करार दिया। यह विधेयक बांधों की निगरानी, निरीक्षण और रखरखाव के लिए विशेष प्रविधान करता है।

द्रमुक नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि भारत राज्यों का संघ है। हमारा लोकतंत्र और संविधान दोनों संघवाद पर आधारित हैं। राज्यों के अपने अधिकार हैं उन्हें जलापूर्ति, निकासी और बंधा बनाने आदि के लिए कानून बनाने का हक है। बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है, जिसे प्रवर समिति को भेजकर इसमें संशोधन लाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किया गया तो इसे कोई भी अदालत में चुनौती दे सकता है। तृणमूल कांग्रेस के नेता नदीमुल हक ने विपक्षी नेताओं की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि विधेयक की विधिवत छानबीन होनी चाहिए। इसमें कई विवादित प्रविधान हैं, जिनके जरिये राज्यों के अधिकार छीनने की कोशिश की गई है।

इस तरह के विधेयक की सख्त जरूरत : वाईएसआर कांग्रेस

भाजपा सदस्य केजे अल्फांस ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसके प्रविधान संघवाद का उदाहरण हैं। देश के बड़े बांधों की सुरक्षा के महत्व का जिक्र करते हुए अल्फांस ने कहा कि ये जल बम हैं। आंध्र प्रदेश और बंगाल की राज्य विधानसभाओं ने पहले ही प्रस्ताव पारित कर स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र को बांधों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस के वी. विजयसाई रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस तरह के विधेयक की सख्त जरूरत है, जिसे पास करने में कोई विलंब नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद अगर किसी तरह के संशोधन की जरूरत होगी तो केंद्र अधिसूचना जारी कर बदलाव कर सकता है। जदयू के रामनाथ ठाकुर ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि नेपाल में बनाए जा रहे ऊंचे बांधों से बिहार के लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखने पर विचार किया जाना चाहिए। बिहार के लोग हर साल जून के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने से बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। बीजद नेता आचार्य ने कहा कि ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और कनाडा में बांधों की सुरक्षा का दायित्व राज्य सरकारें निभाती हैं। अन्नाद्रमुक के नेता नवनीत कृष्णन ने विधेयक को गलत करार दिया।

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