बारिश लिखती है किसान की किस्मत, कृषि अब भी आजीविका का मुख्य साधन

एशिया में भारत और खासतौर से उप-अफ्रीकी देशों में जल और कृषि का तालमेल बिगड़ने से देशों का आर्थिक पहिया डगमगा जाता है और उसका खामियाजा सबसे पहले श्रमिकों को उठाना पड़ता है। इनमें महिलाओं की संख्या भी करीब आधी होती है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 01:42 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 01:42 PM (IST)
बारिश लिखती है किसान की किस्मत, कृषि अब भी आजीविका का मुख्य साधन
अब भी दुनिया में 2.1 अरब लोग गरीब हैं और इनमें 76.7 करोड़ लोग भयंकर गरीबी में हैं।

[विवेक मिश्रा] जल के बिना कृषि की कल्पना अधूरी है। इस आर्थिक विकास वाले दौर में भी जैसे ही कृषि के लिए जल की आपूर्ति घटती है वैसे ही कई देशों की आधी से ज्यादा आबादी के मेहनताने पर सीधी चोट पहुंचती है... पानी और कृषि का तालमेल ऐसा है कि यह अगर थोड़ा भी बिगड़े तो दुनिया की आधी आबादी सीधे प्रभावित हो जाती है। एशिया में भारत और खासतौर से उप-अफ्रीकी देशों में जल और कृषि का तालमेल बिगड़ने से देशों का आर्थिक पहिया डगमगा जाता है और उसका खामियाजा सबसे पहले श्रमिकों को उठाना पड़ता है। इनमें महिलाओं की संख्या भी करीब आधी होती है।

बीते कुछ दशकों में दुनियाभर में आर्थिक विकास का नारा भले ही गूंजा हो, लेकिन अब भी दुनिया में 2.1 अरब लोग गरीब हैं और इनमें 76.7 करोड़ लोग भयंकर गरीबी में हैं। इन गरीबों में 80 फीसद लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। कृषि अब भी आजीविका का मुख्य साधन है।

विश्व जल दिवस-2021 पर संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में विश्व बैंक का हवाला देकर कहा गया कि 30 वर्षों का विश्लेषण बताता है कि भारत में बारिश में गड़बड़ी या वर्षा के झटके सीधे तौर पर श्रमिकों के मेहनताने पर चोट पहुंचाते हैं। अधिक समय तक रहने वाला सूखा लंबी बेरोजगारी और पलायन की वजह बनता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शहर की तरफ रुख करते हैं। जबकि यह ध्यान रखने लायक है कि गैर कृषि रोजगार बेहद सीमित हैं। पानी के इस झटके से महिलाओं को बड़ी विपदा का शिकार होना पड़ता है। वैश्विक स्तर पर 43 फीसद महिलाएं कृषि श्रमिक हैं और अफ्रीका व एशियाई देशों में महिला कृषि श्रमिकों की संख्या 50 फीसद तक है।

वर्षा आधारित क्षेत्रों और सिंचाई व्यवस्था वाले क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन के लिए पानी की सुरक्षा में सुधार गरीबी में भी सुधार ला सकता है साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से लिंगभेद मिटाने में कारगर हो सकता है।

पानी के सुधार से खेती का दायरा बढ़ाया जा सकता है और फसलों को विफल होने से भी बचाया जा सकता है। साथ ही कई तरह की फसलें भी लगाई जा सकती हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी की सुरक्षा पलायन पर रोक के साथ अधिक मेहनताने वाले रोजगार के अवसर को बढ़ा सकते हैं और स्थानीय स्तर पर खाद्य उत्पादन और उसकी कीमत को भी बेहतर बना सकते हैं। यूएन की रिपोर्ट में पानी की कमी से पैदा होने वाली समस्या और उसकी खूबी की विस्तृत सूची बनी है। बहरहाल पानी के विविध और बेहतर इस्तेमाल से ही इस संकट से लड़ा जा सकता है!

chat bot
आपका साथी