रबी की बोआई ने पकड़ी रफ्तार, 4.39 करोड़ हेक्टेयर में हो चुकी बोआई, गेहूं का रकबा दो करोड़ हेक्टेयर के पार

रबी सीजन में बोआई की रफ्तार तेज हो गई है। पिछले साल के मुकाबले बोआई रकबा दो तिहाई से अधिक पहुंच गया है। गेहूं और तिलहनी फसलों की खेती पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गई है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 07:55 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 10:56 PM (IST)
रबी की बोआई ने पकड़ी रफ्तार, 4.39 करोड़ हेक्टेयर में हो चुकी बोआई, गेहूं का रकबा दो करोड़ हेक्टेयर के पार
गेहूं और तिलहनी फसलों की खेती पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गई है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अनुकूल जलवायु ओर मिट्टी में नमी को देखते हुए रबी सीजन में बोआई की रफ्तार तेज हो गई है। पिछले साल के मुकाबले बोआई रकबा दो तिहाई से अधिक पहुंच गया है। गेहूं और तिलहनी फसलों की खेती पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गई है। नवंबर के आखिरी सप्ताह से ही मौसम में ठंड बढ़ गई है, जिससे गेहूं की बोआई तेज हो गई है जबकि तिलहनी फसलों की खेती अंतिम चरण में है। रबी सीजन का कुल बोआई रकबा 4.39 करोड़ हेक्टेयर पहुंच गया है, जो पिछले साल के 4.13 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले अधिक है।

सरकार ने जारी किया आंकड़ा

कृषि मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले सप्ताह तक देश में रबी सीजन वाली फसलों का बोआई आंकड़ा दो करोड़ हेक्टेयर से अधिक हो चुका है, जो पिछले साल की इसी अवधि के 1.93 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले अधिक है। सामान्य तौर पर देश में गेहूं की खेती का रकबा तीन करोड़ हेक्टेयर के आसपास रहता है। गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसल है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बोआई तेज हो गई है। धान की कटाई होने के बाद तैयार होने वाले खेतों में भी बोआई चालू है।

तिलहनी और दलहनी फसलों की खेती पर जोर 

मानसून की अच्छी बारिश से मिट्टी में पर्याप्त नमी होने से तिलहनी और दलहनी फसलों की खेती तेज हुई है। राजस्थान में सरसों की खेती समय से पहले कर दी गई है। जबकि दलहनी फसलों की प्रमुख चने की खेती पिछले साल से अधिक हो चुकी है। हालांकि मोटे अनाज वाली फसलों की खेती का रकबा इस बार थोड़ा घटता दिख रहा है।

किसानों का रुझान तिलहनी फसलों की खेती की ओर बढ़ा

चालू सीजन में देश के किसानों का रुझान तिलहनी फसलों की खेती की ओर बढ़ा है। सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खुले बाजार में तिलहनी फसलों की कीमतें सामान्य से अधिक बोली जा रही हैं। वैश्विक बाजार से आयातित खाद्य तेलों की महंगाई की वजह से घरेलू खाद्य तेलों के बाजार में भी तेजी है। दूसरी ओर से सरकार ने भी तिलहनी फसलों की खेती पर ज्यादा जोर दिया है। इसके लिए किसानों को उन्नतशील प्रजाति के बीजों के किट वितरित किए गए हैं। सरसों का एमएसपी 5050 रुपये प्रति क्विंटल और सैफ्लावर (कुसुम) का 5441 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। खुले बाजार में इनके मूल्य 6000 रुपए प्रति ¨क्वटल तक बोले गए।

तिलहनी फसलों का सामान्य रकबा 77 लाख हेक्टेअर रहा

तिलहनी फसलों की बोआई का रकबा पिछले साल के मुकाबले ही नहीं बल्कि सामान्य रकबे से भी अधिक 83.65 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। जबकि पिछले की इसी अवधि तक कुल बोआई रकबा मात्र 64.72 लाख हेक्टेयर था। तिलहनी फसलों का सामान्य रकबा 77 लाख हेक्टेयर रहा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात व तेलंगाना में तिलहनी फसलों की खेती का रकबा बढ़ा है। रबी सीजन की बोआई की राह में थोड़ी मुश्किल फर्टिलाइजर वितरण को लेकर आ रही है। 

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