Chabahar Port News: इस साल हो सकती है चाबहार बंदरगाह पर चार देशों की बैठक

चाबहार बंदरगाह के संयुक्त इस्तेमाल पर भारत उज्बेकिस्तान ईरान और अफगानिस्तान इस साल एक बैठक कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी है। पढ़ें इससे संबंधित अहम जानकारी।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 05:50 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 06:46 AM (IST)
Chabahar Port News: इस साल हो सकती है चाबहार बंदरगाह पर चार देशों की बैठक
इस साल हो सकती है चाबहार बंदरगाह पर चार देशों की बैठक

नई दिल्ली, प्रेट्र। चाबहार बंदरगाह के संयुक्त इस्तेमाल पर भारत, उज्बेकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान इस साल एक बैठक कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत ने इस बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आइएनएसटीसी) से जोड़ने का भी प्रस्ताव दिया है। दो सप्ताह पहले ताशकंद में हुए एक सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को एक अहम क्षेत्रीय मार्ग बताया था।

बागची ने कहा कि भारतीय नागरिकों की विदेश यात्रा सामान्य करने का मुद्दा विभिन्न देशों के समक्ष उठाया जा रहा है। भारत में कोरोना की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार होने के मद्देनजर उनमें से कुछ देशों ने सकारात्मक कदम उठाए हैं। बागची ने कहा कि सरकार भारतीय नागरिकों की विदेश यात्रा आसान बनाने के लिए विभिन्न देशों में और अधिक कदम उठाए जाने पर जोर देगी।

उन्होंने एक आनलाइन ब्रीफिंग में कहा, हम यात्रा प्रतिबंधों में छूट देने के इन मुद्दों को काफी महत्व देते हैं। भारतीय नागरिकों की विदेश यात्रा सामान्य करने का मुद्दा अन्य देशों के संबंधित अधिकारियों के साथ उठाया गया है।

बता दें कि अमेरिकी सांसदों के लिए अपनी नई रिपोर्ट में कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने कहा कि भारत 2015 में ईरान के चाबहार पोर्ट और इससे संबंधी रेलवे लाइन के विकास के लिए तैयार हुआ था। इस रेलवे लाइन से भारत को पाकिस्तान से गुजरे बगैर अफगानिस्तान से बेरोक-टोक व्यापार करने में मदद मिलेगी।

करीब 100 पेज की रिपोर्ट में बताया गया था कि कि मई, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान गए और बंदरगाह और उससे संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 50 करोड़ डॉलर (करीब 3,700 करोड़ रुपये) निवेश करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अपने कड़े प्रतिबंधों से भारत की 'अफगानिस्तान पुनर्निर्माण' परियोजना को छूट दे रखी थी। भारत ने वर्ष 2020 के अंत तक इस परियोजना पर काम रोक रखा था।

इस रिपोर्ट में बताया गया था कि ईरान की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया में उसके निकटतम पड़ोसियों से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान की तुलना में भारत के साथ ईरान के आर्थिक संबंध काफी व्यापक हैं। हालांकि वर्ष 2011 के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात कम कर दिया था। 2016 में इस पश्चिम एशियाई देश को प्रतिबंधों में ढील मिलने के बाद भारत ने तेल आयात बढ़ा दिया।

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