पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार अंसारी को पंजाब से स्थानांतरित करने की मांग पर जताई आपत्ति, जानें क्‍या कहा

पंजाब सरकार और मुख्तार अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार को उन्हें (Mukhtar Ansari) को रूपनगर जेल से यूपी के बांदा जेल में भेजने की मांग करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 05:14 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 12:37 AM (IST)
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार अंसारी को पंजाब से स्थानांतरित करने की मांग पर जताई आपत्ति, जानें क्‍या कहा
पंजाब सरकार ने कहा है कि यूपी सरकार को मुख्तार अंसारी को भेजने की मांग करने का अधिकार नहीं है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। पंजाब सरकार और गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार को उन्हें रूपनगर जेल से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में ट्रांसफर करने की मांग करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। उप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर पंजाब सरकार और रूपनगर जेल प्रशासन को निर्देश देने की मांग की कि मऊ के विधायक अंसारी की हिरासत जल्द से जल्द जिला जेल बांदा को सौंपी जाए।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर.एस. रेड्डी की बेंच ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार और अंसारी की याचिका पर फैसला सुनाएगी। अंसारी ने अपने खिलाफ मामलों को उत्तर प्रदेश के बाहर ट्रांसफर करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जेल नियमों का हवाला दिया और कहा कि भले ही राज्य के पास मूलभूत अधिकार नहीं है, लेकिन वह मुद्दे और पीडि़तों के अधिकारों का समर्थन कर सकता है और पीडि़त की भूमिका ले सकता है। 

तुषार मेहता ने कहा कि यह कहना कि राज्य के पास मूलभूत अधिकार नहीं हैं, गलत है क्योंकि राज्य हमेशा पीडि़त और समाज की भूमिका का निर्वहन कर सकता है। मेहता ने कहा कि अंसारी ने जेल नियमों का उल्लंघन किया और पीडि़तों के अधिकार और राज्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

तुषार मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश की जेल स्थानांतरित करने का आदेश दे सकती है क्योंकि मुख्तार के खिलाफ वहां 14 से 15 मामले अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा कि यदि वीडियो कांफ्रेंसिंग सुनवाई का सबसे न्यायसंगत तरीका होता तो आदमी के ब्रिटेन में रहते हुए भी मुकदमे की सुनवाई हो सकती है।

अंसारी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विपक्ष की एक पार्टी से जुड़े होने के कारण उसको निशाना बनाया जा रहा है। रोहतगी ने कहा कि अंसारी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अलग-अलग अदालतों में पेश हो रहे हैं और 'बकवास तर्क' दिए जा रहे हैं कि सुनवाई बाधित हो रही है। रोहतगी ने कहा कहा कि मैं उत्तर प्रदेश से बाहर मामलों को स्थानांतरित करने का अनुरोध करता हूं। राज्य में राजनीतिक बदले की भावना के कारण उसे दिल्ली स्थानांतरित किया जा सकता है।

वहीं पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अंसारी के खिलाफ पिछले 14-15 वर्षों से आपराधिक सुनवाई चल रही है। उत्तर प्रदेश की रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाए। उल्लेखनीय है अंसारी उगाही के एक कथित मामले में जनवरी 2019 से पंजाब के रूपनगर जिला जेल में बंद है। वह उत्तर प्रदेश में कई गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी है।

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