Pulwama Terror Attack: कश्मीरियों को निशाना बनाने को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हुई सतर्क

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को भारत की जवाबी सख्त कार्रवाई का डर सता रहा है और उसका कहीं ज्यादा सतर्क होना स्वाभाविक है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 07:38 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 01:27 AM (IST)
Pulwama Terror Attack: कश्मीरियों को निशाना बनाने को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हुई सतर्क
Pulwama Terror Attack: कश्मीरियों को निशाना बनाने को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हुई सतर्क

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश के कुछ इलाकों में कश्मीरी समुदाय के लोगों को कथित तौर पर निशाना बनाए जाने को लेकर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। पाकिस्तान के खिलाफ माकूल जवाबी कार्रवाई की बन रही रणनीति के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर की अपनी स्थानीय पकड़ को सुरक्षा एजेंसियां किसी भी आपरेशन के लिए बेहद अहम मान रही हैं। इसीलिए सुरक्षा एजेंसियों की चिंता इस बात को लेकर है कि कश्मीरी समुदाय को निशाना बनाने की घटनाओं का दुष्प्रचार उनकी स्थानीय पकड़ के तंत्र को प्रभावित कर सकती है।

सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ जमीनी स्तर पर ऑपरेशन को ज्यादा से ज्यादा कामयाब बनाने में स्थानीय इनपुट और सूचनाएं बेहद अहम होते हैं। ऐसे लोगों के रणनीतिक सहयोग की वजह से बीते कुछ अर्से में भारी संख्या में सीमा पार से आने वाले घुसपैठियों को रोकने में कामयाबी मिली तो काफी संख्या में आतंकी मारे भी गए।

हालांकि एजेंसियां इस बात से भी सहमत हैं कि कश्मीरी लोगों के साथ इक्का-दुक्का हुई घटनाओं को सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा पर लगी तत्काल रोक इस दुष्प्रचार को रोकने की रणनीति का ही हिस्सा है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले वर्ष सबसे अधिक 260 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराने में स्थानीय इनपुट का अहम रोल रहा है। ऐसे में देश के दूसरे हिस्सों में आम कश्मीरी समुदाय के प्रति गुस्से की भावना का संदेश जाने से घाटी में स्थानीय लोगों को नागवार लगेगा। इसका असर खुफिया सूचना तंत्र पर सबसे ज्यादा होगा क्योंकि स्थानीय लोगों के इनपुट के बिना कई इलाकों में आतंकी तत्वों की पहचान कर कार्रवाई करना आसान नहीं होता।

सुरक्षा एजेंसियों का यह भी कहना है कि इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जम्मू-कश्मीर में सेना और सीआरपीएफ पर बेशक बड़ी सुरक्षा जिम्मेदारी है मगर सूबे की पुलिस का रोल भी कम अहम नहीं है। स्थानीय पुलिस में वहीं के लोग हैं और आतंकियों से मोर्चा लेने में उनकी भी शहादत होती है।

केंद्र सरकार की ओर से कश्मीरी समुदाय के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की राज्यों को जारी की गई एडवाजरी में सुरक्षा एजेंसियों की यह चिंता भी एक वजह रही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कुछ राजनीतिक दलों ने चिंता जताई थी। इसके बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीरी लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का एडवाजरी जारी किए जाने का ऐलान किया था।

सूत्रों के अनुसार पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को भारत की जवाबी सख्त कार्रवाई का डर सता रहा है और उसका कहीं ज्यादा सतर्क होना स्वाभाविक है। ऐसे में घाटी में सुरक्षा एजेंसियों की स्थानीय स्तर पर इनपुट की मजबूत पैठबंदी रणनीतिक फैसलों के लिए बेहद अहम होगी।

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