...ताकि आक्सीजन के अभाव में न जाए किसी की जान, उपलब्धता के लिए 'प्रोजेक्ट ओ-2' शुरू

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सामने आई खामियों से सबक लेते हुए सरकार ने संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए व्यवस्थाएं बनानी शुरू कर दी है। इस जीवन रक्षक गैस की कमी के चलते किसी की जान न जाए इसके लिए सरकार ने प्रोजेक्ट ओ2 शुरू किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 08:41 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:46 PM (IST)
...ताकि आक्सीजन के अभाव में न जाए किसी की जान, उपलब्धता के लिए 'प्रोजेक्ट ओ-2' शुरू
रकार ने संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए चाक चौबंद व्यवस्थाएं बनानी शुरू कर दी है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सामने आई खामियों से सबक लेते हुए सरकार ने संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए चाक चौबंद व्यवस्थाएं बनानी शुरू कर दी है। दूसरी लहर में देश को मेडिकल आक्सीजन की घोर कमी का सामना करना पड़ा है। इसके चलते हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। भविष्य में इस जीवन रक्षक गैस की कमी के चलते किसी की जान न जाए, इसके लिए सरकार ने 'प्रोजेक्ट ओ2' शुरू किया है।

परियोजना का यह है लक्ष्‍य 

इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य भविष्य में आक्सीजन की मांग को पूरा करने, इसका उत्पादन बढ़ाने और इसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था तैयार करना है। यह प्रोजेक्ट सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर की सीधी देखरेख में है। इसके तहत एक नेशनल कंसोर्टियम आफ आक्सीजन यानी राष्ट्रीय आक्सीजन संघ का गठन किया गया है।

नजर रख रही सरकार 

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह संघ आक्सीजन उत्पादन के लिए अहम कच्चे माल जियोलाइट की राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। साथ ही यह छोटे और बड़े आक्सीजन प्लांट की स्थापना, कंप्रेशर के निर्माण, कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर की उपलब्धता पर भी नजर रख रहा है।

महत्वपूर्ण उपकरणों का मूल्यांकन

यह आक्सीजन की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के साथ ही दीर्घकालिक तैयारियों के लिए उत्पादन व्यवस्था को मजबूत कर रहा है। विशेषज्ञों की एक समिति स्वदेशी उत्पादकों, स्टार्ट-अप और एमएसएमई (फिक्की, मेसा, आदि के साथ साझेदारी में) के एक पूल से महत्वपूर्ण उपकरण जैसे आक्सीजन प्लांट, कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर का मूल्यांकन कर रही है।

संघ में बेल और टीसीई भी शामिल

उत्पादन और आपूर्ति संघ में भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बेल), टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई), सी-कैंप, बेंगलुरु, आइआइटी कानपुर, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी बांबे, आइआइटी हैदराबाद, आइआइएसइआर भोपाल और 40 से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल हैं। इस कंसोर्टियम को विभिन्न कंपनियों और फाउंडेशनों की तरफ से मदद भी मिल रही है।

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