चुनौतियों को 'आर्थिक अवसरों' में बदलने का समय : प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

आईआईएमसी के सत्रारंभ समारोह में भारत का आर्थिक भविष्य विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर होना आज के समय की आवश्यकता है। भारत के उत्पादन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 04:56 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 04:56 PM (IST)
चुनौतियों को 'आर्थिक अवसरों' में बदलने का समय : प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा
आईआईएमसी के सत्रारंभ समारोह 2021 का तीसरे इन वक्ताओं ने अपना विचार रखा

नई दिल्ली, जेएनएन। यूरोप के 50 देशों और लैटिन अमेरिका के 26 देशों से ज्यादा हमारी जनसंख्या है। विश्व के सर्वाधिक 20 फीसद युवा और 6.34 करोड़ एमएसएमई उद्योग भारत में हैं। इस संख्या बल के दम पर हमें भारत की 'आर्थिक चुनौतियों' को 'आर्थिक अवसरों' में बदलना है।'' यह विचार गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा के पूर्व कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बुधवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह 2021 के तीसरे दिन व्यक्त किये। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक आशीष गोयल, सत्रारंभ कार्यक्रम के संयोजक एवं डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

'भारत का आर्थिक भविष्य' विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर होना आज के समय की आवश्यकता है। भारत के उत्पादन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। सोलर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक समय में भारत की कई कंपनियां सोलर पैनल बनाती थीं, जिनका यूरोपीय देश में निर्यात होता था। लेकिन, जैसे ही चीन ने सस्ते सोलर पैनल भारत में बेचना शुरू किया, हमारी इन कंपनियों को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

प्रो. शर्मा के अनुसार अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, तो अपनी उत्पादन क्षमता और आयात की तुलना में निर्यात को बढ़ाना होगा। तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय मानव संसाधन पूरी दुनिया में काम कर रहा है, लेकिन इन लोगों के द्वारा तैयार किए गए तकनीकी उत्पाद का फायदा मल्टीनेशनल कंपनियां उठाती हैं। इससे भारतीय ज्ञान और प्रतिभा से प्राप्त मुनाफा विदेशी कंपनियों को प्राप्त होता है। इसे रोकने के लिए भारत को स्वदेशी तकनीक की ओर जाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वदेशी उत्पाद खरीदेंगे, तो उससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीक के विकास में भी सहयोग होगा।

'एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट' से आएगा परिवर्तन : प्रो. मित्तल

इस अवसर पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव प्रो. पंकज मित्तल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया। 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रो. मित्तल ने कहा कि भारत की शिक्षा नीति अपनी शिक्षा प्रणाली को छात्रों के लिए सबसे आधुनिक और बेहतर बनाने का काम कर रही है। आधुनिक तकनीक पर आधारित 'एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट' सिस्टम से विद्यार्थियों के लिए बड़ा परिवर्तन आने वाला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक बैंक आम आदमी के पैसों को अपने यहां सुरक्षित रखता है, उसी प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट के अनुसार सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री की उपाधि प्रदान करने का विकल्प रखा गया है। साथ ही इसमें विद्यार्थियों के लिए एक नहीं, बल्कि कई विश्वविद्यालयों या संस्थानों में पढ़ाई करने की छूट का भी प्रावधान है।

सीखे हुए कौशल को प्रयोग में लाना समय की जरुरत : प्रो. राज नेहरू

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में 'कौशल भारत कुशल भारत' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, हरियाणा के कुलपति प्रो. राज नेहरू ने कहा कि जो कौशल हमने सीखा है उसे समाज के प्रयोग में किस तरह लाना है, इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत में तकनीक और कौशल उपलब्ध है। सिलिकॉन वैली के विकास में भारत का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को नॉलेज, स्किल और एटीट्यूड पर काम करना चाहिए। जीवन को बेहतर बनाने के लिए विद्यार्थियों को नई-नई स्किल सीखनी चाहिए।

जनता के हित में हो विज्ञापन : मनीषा कपूर

इस मौके पर 'कोविड के बाद विज्ञापन जगत का परिदृश्य' विषय पर अपनी बात रखते हुए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद की महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि विज्ञापनों में अभिव्यक्ति और रचनात्मकता से जुड़े कई मुद्दे हमारे सामने आते हैं। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद 'कंज्यूमर कंप्लेंट काउंसिल' के माध्यम से विज्ञापनों की गुणवत्ता की जांच करता है। उन्होंने कहा कि सभी विज्ञापनों के केंद्र में आम जनता होती है। इसलिए हमारी ये जिम्मेदारी है कि विज्ञापन जनता के हित में हों।

पत्रकारिता में जब सामाजिक सरोकार प्रबल होंगे, तभी पत्रकारिता की सार्थकता: विष्णु त्रिपाठी

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में 'पत्रकारिता की चुनौतियां एवं अवसर' विषय पर देश के प्रख्यात पत्रकारों ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता सिर्फ व्यवसाय नहीं है। पत्रकारिता में जब सामाजिक सरोकार प्रबल होंगे, तभी पत्रकारिता की सार्थकता है। हिन्दुस्तान टाइम्स के प्रधान संपादक सुकुमार रंगनाथन ने कहा कि आज तकनीक ने मीडिया को एक नई ताकत दी है। यह पत्रकारिता का स्वर्णिम युग है। एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) की प्रधान संपादक स्मिता प्रकाश ने कहा​ कि आज लोग सोशल मीडिया के थोड़े से ज्ञान से ही अपनी राय बना लेते हैं। मीडिया के विद्यार्थियों को इस आदत से बचना चाहिए। जी न्यूज के प्रधान संपादक सुधीर चौधरी ने कहा कि आज इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। पत्रकारिता में सफल होने का यही मूल मंत्र है।

समारोह के चौथे दिन गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ध्रुव कटोच, महाराष्ट्र टाइम्स के संपादक पराग करंदीकर, न्यूज 18 उर्दू के संपादक राजेश रैना, ओडिया समाचार पत्र 'समाज' के संपादक सुसांता मोहंती और मलयालम समाचार पत्र 'जन्मभूमि' के संपादक केएनआर नंबूदिरी विद्यार्थियों से रूबरू होंगे।

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