उत्तराखंड में संकटमोचक बन बुजुर्गों, मरीजों और जरूरतमंदों का दिल जीत रही खाकी

नदी पार कर श्वांस रोगी के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाते पुलिस कर्मी। जागरण

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 11:12 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 02:24 PM (IST)
उत्तराखंड में संकटमोचक बन बुजुर्गों, मरीजों और जरूरतमंदों का दिल जीत रही खाकी
उत्तराखंड में संकटमोचक बन बुजुर्गों, मरीजों और जरूरतमंदों का दिल जीत रही खाकी

दीप सिंह बोरा, अल्मोड़ा। कोरोना से जंग के बीच पुलिस की छवि में जमीन-आसमान का फर्क पैदा हुआ है। जिस तरह पुलिस वालों ने लॉकडाउन के पहले दिन से लेकर अब तक साहस, सूझबूझ और समर्पण के साथ मोर्चा संभाला उसने लोगों का दिल जीत लिया। भरोसा पैदा किया कि खाकी केवल डंडे भांजने तक सीमित नहीं होती। उत्तराखंड से आई यह खबर एक उदाहरण है कि किस तरह पुलिस ने आदर्श प्रस्तुत किया है।

लॉकडाउन के चलते अल्मोड़ा के एक गांव में फंसे श्वांस रोगी की ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना जान आफत में पड़ गई थी। चौकी प्रभारी फिरोज सिपाहियों के साथ ढाई किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर जब उनके घर तक पहुंचे तो उनकी सांस में सांस लौटी। यदि सिलेंडर पहुंचने में कुछ घंटे भी देर हो गई होती तो जान पर बन आती। जिले के चौखुटिया ब्लॉक में खीड़ा पुलिस चौकी से करीब साढ़े 12 किमी दूर गैरसैंण तहसील में कौलानी बछुवाबाड़ (चमोली गढ़वाल) गांव है। यहां पत्नी, बेटा और बहू के साथ 68 वर्षीय नारायण सिंह लॉकडाउन से पूर्व दिल्ली से आकर रह रहे हैं। यह उनका पैतृक गांव है। नारायण पिछले आठ वर्ष से श्वांस रोग से पीड़ित हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे ही हैं। सिलेंडर खत्म होते ही मुश्किल में पड़ गए।

 

नारायण सिंह को हर वक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। इधर, लॉकडाउन में सिलेंडर खत्म हुआ तो नया मंगाना भारी पड़ गया। 30 मई को सिलेंडर की गैस खत्म होने लगी तो स्वजनों की चिंता बढ़ गई। बेटे ने अल्मोड़ा जिला मुख्यालय समेत अन्य नाते-रिश्तेदारों से भी संपर्क किया, लेकिन व्यवस्था न हो सकी। अंत में पुलिस से मदद मांगी। उनके गांव से खीड़ा पुलिस चौकी ही सबसे नजदीक पड़ती है, लिहाजा यहां फोन किया गया। चौकी प्रभारी फिरोज आलम से मदद की गुहार लगाई।

फिरोज ने स्थिति की गंभीरता का सही आकलन किया और तत्काल व्यवस्था में जुट गए। आसपास कहीं भी उपलब्धता न होने पर हल्द्वानी संपर्क साधा। उन्होंने खुद के खर्च पर हल्द्वानी से छह हजार रुपये में ऑक्सीजन सिलेंडर 31 मई को ही चौकी में मंगवा लिया। नारायण सिंह के गांव पहुंचने के लिए खीड़ा चौकी से करीब 10 किमी दूर सड़क मार्ग है। यहां से चौकी प्रभारी फिरोज, कांस्टेबल संजय कुमार, जबर सिंह और अनिल कुमार को करीब ढाई किमी का पैदल सफर रामगंगा नदी को पार करते हुए करना था। खुद फिरोज ने ऑक्सीजन सिलेंडर कंधे पर लादा और चल पड़े, साथियों ने भी बीच में मदद की। नदी पार करते ही पहाड़ में खड़ी चढ़ाई पार करते हुए समय पर गांव भी पहुंचना था। करीब दो घंटे में गांव पहुंचे तो आंगन में सिलेंडर लादे पहुंचे पुलिस कर्मियों को देख नारायण ही नहीं स्वजनों और आसपास के लोगों की आंखों में भी कृतज्ञता के भाव थे।

नारायण सिंह को तो लगने लगा था कि ऑक्सीजन न मिली तो शायद उनकी सांस भी आज ही थम जाएगी। पुलिस कर्मियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर उन्हें सौंपा और वापस अपनी अगली सेवा के लिए लौट आए। नारायण सिंह और ग्रामीण दूर तक इन देवदूतों को निहारते रहे और दुआ देते हुए विदा किया। अल्मोड़ा के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने अपने साथियों की तारीफ करते हुए दैनिक जागरण को बताया कि संकटकाल में बुजुर्गों, मरीजों और जरूरतमंदों की मदद को पुलिस बल तत्पर है। लॉकडाउन में फंसी एक बुजुर्ग महिला को खीड़ा गांव से 25 किमी दूर मल्ली किरौली गांव तक पुलिसकर्मियों ने पीठ पर लादकर पहुंचाया।

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