साल दर साल एजेंडे के वादे को पूरा कर कीर्तिमान बना रहे पीएम नरेंद्र मोदी
एक समय था जब भाजपा को अपने सहयोगियों के लिए इसी राममंदिर के मुद्दे को छोड़ना पड़ा था और एक आज का समय है जब पीएम नरेंद्र मोदी उसी मंदिर का भूमि पूजन कर रहे हैं।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भाजपा साल दर साल अपने एजेंडे में शामिल एक-एक वायदे को पूरा करके कीर्तिमान बनाती जा रही है। अब से ठीक एक साल पहले आर्टिकल 370 को हटाया था और आज ठीक उसके एक साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कर रहे हैं।
एक समय वो था जब भाजपा को अपने राजनीतिक सहयोगियों को लुभाने के लिए इसी अयोध्या राम मंदिर के मुद्दे को पीछे छोड़ना पड़ा था और एक समय आज है जब पूरा देश और सभी राजनीतिक पार्टियां राम मंदिर के लिए भूमि पूजन में जयश्रीराम के जयघोष के नारे लगा रही हैं। ये विरला मौका है जब हिंदुत्व के आंदोलन की अगुआई करने वाले आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में भूमि पूजन होगा।
पहले आर्टिकल 370 हटाया अब राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन
साल 2014 में जब पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में आ गई उसके बाद पार्टी ने अपने वायदों को पूरा करने की दिशा में काम शुरू किया। दरअसल पूरी तरह से बहुमत में आने के बाद भाजपा के ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं रह गया कि सहयोगी नाराज हो जाएंगे और वो समर्थन वापस ले लेंगे जिससे सरकार गिर जाएगी। बहुमत में आने के बाद पीएम मोदी ने एक-एक वायदों को पूरा करने के लिए काम शुरू किया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पहले से भी बड़ा जनादेश मिला। बहुमत मिलने के बाद पार्टी ने एकदम नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना शुरू किया, जिसका नतीजा देश को देखने को मिल रहा है।
विरोधी भी जपने लगे रामनाम का नारा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दो दिन पहले कहा कि भगवान राम सबमें हैं और सबके हैं। उधर कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने मंदिर पूजन का स्वागत किया। उन्होंने इसके लिए चांदी की ईंट भी भेजी है। भगवा वस्त्र पहनकर श्रीराम का जयकारा भी लगाया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि मंदिर पूजन के लिए अब मानसिक रूप से दिवालिए धर्मनिरपेक्ष नेता भगवान राम के प्रति श्रद्धा जता रहे हैं। उन्हें यह याद दिलाना जरूरी है कि भाजपा ही एकमात्र राजनीतिक दल है, जिसके लिए भव्य राम मंदिर का निर्माण आस्था का विषय रहा है।
आडवाणी ने निकाली थी रथयात्रा, मोदी ने निभाई थी अहम भूमिका
भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने साल 1990 में रामरथ यात्रा निकाली थी। उस रथयात्रा में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी होने के नाते नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद भाजपा खुलकर राम मंदिर के समर्थन में आ गई। साल 1989 में पालमपुर में हुए भाजपा के अधिवेशन में पहली बार राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया।
आडवाणी ने अपनी प्रसिद्ध रथ यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर से की थी।इसी में आज के समय में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरू स्वर्गीय महंत अवेद्यनाथ ने 1984 में बने साधुओं और हिन्दू संगठनों के समूह की अगुआई कर मंदिर आंदोलन में अहम योगदान दिया था। साल 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला देकर हिन्दू और मुस्लिम समूहों के बीच ऐतिहासिक विवाद का कानूनी पटाक्षेप किया।
रथयात्रा ने खींचा था सभी का ध्यान
आडवाणी की रथयात्रा देश के प्रमुख शहरों से होकर गुजरी, इसने सभी के मन में अयोध्या के प्रति ध्यान आकृष्ट किया। उनकी इस यात्रा के समय ही कई शहरों में साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काई गई और दंगे भी हुए। इन सबके बावजूद राम मंदिर का आंदोलन जोर पकड़ता रहा। विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद का ढांचा 6 दिसम्बर 1992 को गिरा दिया गया।
इसके बाद तो कुछ दलों के लिए भाजपा एक अछूत पार्टी सी हो गई थी मगर उसके बाद भी उसे सस्ता में आने से कोई नहीं रोक पाया। इसी के बाद भाजपा को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी को आर्टिकल 370, राम मंदिर मुद्दा और समान नागरिकता संहिता के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था जिनमें से दो मुद्दों का समाधान अब भाजपा कर चुकी है। इसके बाद समान नागरिक संहिता का नंबर आने की उम्मीद है।
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