ईस्ट एशिया समिट को आज संबोधित करेंगे पीएम मोदी,हिंद प्रशांत क्षेत्र की कूटनीति को लेकर अगले कुछ दिन काफी अहम

हिंद प्रशांत क्षेत्र अभी वैश्विक कूटनीति के केंद्र में है। भारतीय कूटनीति के लिए भी यह पूरा क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हो कर उभरा है। इस क्षेत्र के देशों के साथ भारत के सैन्य आर्थिक व कूटनीतिक सहयोग की भावी दिशा क्या होगी इसके लिहाज से अगले दो-तीन काफी अहम होंगे।

By TaniskEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 10:53 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 05:54 AM (IST)
ईस्ट एशिया समिट को आज संबोधित करेंगे पीएम मोदी,हिंद प्रशांत क्षेत्र की कूटनीति को लेकर अगले कुछ दिन काफी अहम
ईस्ट एशिया समिट को आज संबोधित करेंगे पीएम मोदी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र अभी वैश्विक कूटनीति के केंद्र में है। भारतीय कूटनीति के लिए भी यह पूरा क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हो कर उभरा है। इस क्षेत्र के देशों के साथ भारत के सैन्य, आर्थिक व कूटनीतिक सहयोग की भावी दिशा क्या होगी, इसके लिहाज से अगले दो-तीन काफी अहम होंगे। वजह यह है कि इन तीन दिनों के दौरान ईस्ट एशिया समिट, भारत आशियान सम्मेलन के साथ ही इंडो पैसिफिक रीजनल डायलाग (आइपीआरडी) का आयोजन हो रहा है। पहली दो बैठकों में पीएम नरेन्द्र मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे वहीं भारतीय नौ सेना के सबसे बड़े आयोजन आइपीआरडी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी हिस्सा लेंगे। भारत और चीन के बीच बढ़ते मतभेद और हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर बन रहे नए गठबंधन को देखते हुए ये तीनों बैठकों में होने वाली चर्चा बेहद अहम होगी।

पीएम मोदी सबसे पहले बुधवार को को होने वाले 16वें ईस्ट एशिया समिट में हिस्सा लेंगे। वर्चुअल मोड में होने वाली इस बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र के सभी प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे। वर्ष 2005 में स्थापित इस संगठन ने पूर्वी एशिया में कूटनीति को एक दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है। इसमें आशियान संगठन के 10 सदस्यीय देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व अमेरिका शामिल हैं। बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्पति शी चिनफिंग समेत दूसरे नेता शामिल होंगे।

भारत हमेशा से ही इस संगठन की मजबूती का हिमायत करता रहा है। इस बार की बैठक में कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभाव को रोकने में आपसी सहयोग का मुद्दा काफी अहम रहेगा। खास तौर पर अब जबकि कोरोना के बाद धीरे-धीरे कई देश सामान्य आवागमन को अनुमति देने लगे हैं उसे देखते हुई भावी सहयोग के रोडमैप क्या हो, इस पर चर्चा होगी। इसके अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को भारत आशियान बैठक होगी। इसमें आशियान के सभी दस देश इंडोनेशिया, ब्रुनेई, मलयेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस और म्यांमार के प्रमुखों की पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक होगी।

कोरोना का मुद्दा रहेगा अहम

विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी से उपजे हालात और इसको लेकर सहयोग का मुद्दा अहम रहेगा लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा आने वाले दिनों में आर्थिक सहयोग को लेकर भी अहम चर्चा होने वाली है। भारत का आसियान के साथ कारोबारी समझौता है लेकिन भारत कई बार कह चुका है कि यह उसके हितों के खिलाफ है। इस बार भी पीएम मोदी की तरफ से यह मुद्दा उठाया जा सकता कि किस तरह से नए हालात में आर्थिक सहयोग को लेकर नए सिरे से समझौता हो। इन दोनों बैठकों में पीएम मोदी की तरफ से आतंकवाद का मुद्दा निश्चित तौर पर उठाया जाएगा।

आइपीआरडी के लिए आठ विषय चयनित

इंडो पैसिफिक रीजनल डायलाग (आइपीआरडी) को भारत की भावी सामुद्रिक सुरक्षा नीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह परिचर्चा भारतीय नौ सेना की रणनीतिक तैयारियों का संकेत देने वाला भी माना जाता है। वैसे इस परिचर्चा के तहत समुद्री मार्ग से होने वाले कारोबार, साइबर क्राइम, समुद्री मार्ग के जरिये कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर भी काफी गंभीर अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा होती है। इस बार के आयोजन में आठ विषय चयनित किए गए हैं जिसमें ¨हद प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सामुद्रिक समन्वय को बढ़ाना, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साझी रणनीतिक, निजी व सरकारी क्षेत्र के बीच समन्वयन को बढ़ावा देने जैसे विषय शामिल हैं।

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