PG NEET-SS Exam : परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- सत्ता के खेल में युवा डाक्टरों को फुटबाल ना समझें

सुप्रीम कोर्ट ने स्नातकोत्तर राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा के परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए कड़ी केंद्र सरकार राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को कड़ी फटकार लगाई। जानें सर्वोच्‍च अदालत ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:23 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 12:40 AM (IST)
PG NEET-SS Exam : परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- सत्ता के खेल में युवा डाक्टरों को फुटबाल ना समझें
सुप्रीम कोर्ट ने PG NEET-SS 2021 के परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए कड़ी फटकार लगाई।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने नीट सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा के सिलेबस (पैटर्न) में आखिरी मिनट में किए गए बदलाव को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को इस मामले में आगाह करते हुए कहा कि सत्ता के खेल में युवा डाक्टरों को फुटबाल न बनाएं। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इन युवा डाक्टरों के भविष्य को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में सौंपने की इजाजत नहीं दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (एमसीआइ) और नेशनल बोर्ड आफ एक्जामिनेशन (एनबीई) को यह नसीहत भी दी कि वे अपना घर दुरुस्त करें।

अंतिम समय बदला पैटर्न 

सर्वोच्‍च अदालत ने यह भी कहा कि नया पाठ्यक्रम प्रवेश परीक्षा की तरह कम अंतिम परीक्षा की तरह ज्‍यादा मालूम पड़ता है। बता दें कि स्नातकोत्तर डाक्टरों ने NEET-SS 2021 के परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। परीक्षा के लिए अधिसूचना 23 जुलाई 2021 को जारी की गई थी जबकि 31 अगस्त को परीक्षा के पैटर्न को बदलते हुए एक नई अधिसूचना जारी कर दी गई थी। ऐसा तब किया गया था जब 13 और 14 नवंबर को होने वाली NEET-SS 2021 की परीक्षा में केवल दो महीने बचे थे।

युवा डाक्टरों को फुटबाल मत समझि‍ए

सर्वोच्‍च अदालत की पीठ ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (National Board of Examinations, NBE) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission, NMC) की ओर से पेश होने वाले वकीलों से कहा- महज इसलिए कि आपके पास वह ताकत है... आप इसका इस तरीके से इस्‍तेमाल करेंगे। कृपया स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से जाकर कहिए कि वह इस मामले को देखे। सर्वोच्‍च अदालत ने आगे कहा कि कृपया सत्ता के इस खेल में इन युवा डाक्टरों को फुटबाल मत समझि‍ए।

असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर नहीं छोड़ सकते

शीर्ष अदालत ने कहा कि आप तीनों एजेंसियों की बैठक बुलाइये और अपने घर को व्‍यवस्‍थ‍ित करिए। हम इन युवा डाक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर नहीं रहने दे सकते हैं। उस आरोप पर कि परीक्षा की अधिसूचना के बाद परीक्षा पाठ्यक्रम बदल दिया गया था। बेंच ने कहा- अब हम युवा डाक्टरों की याचिका सुनने जा रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा के लिए उपस्थित होंगे... आप 23 जुलाई को परीक्षा की सूचना देते हैं और 31 अगस्त को पाठ्यक्रम बदल देते हैं। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? नया पाठ्यक्रम अगले साल से क्यों नहीं लागू किया जा सकता..?

अधिकारियों के व्‍यवहार पर जताई नाराजगी 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्र ऐसी परीक्षाओं के लिए महीनों तैयारी करते हैं। हम आपको सुनेंगे लेकिन हम अधिकारियों के इस व्‍यवहार से असंतुष्ट हैं। अदालत की इस सख्‍ती पर एनबीई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा- यह एक सुविचारित निर्णय है जो कुछ समय से चल रहा था... अंतिम मंजूरी का इंतजार था और जैसे ही हमें मंजूरी मिली, इसे अधिसूचित कर दिया गया। देश भर के 41 योग्य स्नातकोत्तर डाक्टरों ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी जो NEET-SS 2021 को क्रैक करके सुपर-स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं।

नोटिस जारी कर मांगा जवाब 

याचिका में परीक्षा पैटर्न में बदलाव पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्‍च अदालत से दरख्‍वास्‍त की गई है। डाक्टरों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि यह एक सुस्थापित सिद्धांत है कि प्रतियोगिता शुरू होने के बाद उसके नियमों को नहीं बदला जा सकता है। सभी याचिकाकर्ता पिछले तीन वर्षों से पूर्व निर्धारित पैटर्न को लेकर तैयारी कर रहे थे। अचानक परीक्षा पैटर्न में बदलाव से उन्‍हें नुकसान होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले सोमवार को सुनवाई की तारीख दी। साथ ही केंद्र सरकार, एनबीई और एनबीसी को नोटिस जारी किया।

अदालत में इस तरह चली सुनवाई

गौरव शर्मा (मेडिकल कमीशन के वकील) : इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया जाए।

अदालत : एनएमसी क्या कर रहा है? हम युवा डाक्टरों के जीवन की बात कर रहे हैं, जिन्हें सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करने हैं। आपने 23 जुलाई को परीक्षा की अधिसूचना जारी की और 31 अगस्त को सिलेबस बदल दिया। यह क्या है? इन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है।

मनिंदर सिंह (एनबीई के वकील) : इस बदलाव के पीछे कई कारण थे और अधिकारी छात्रों की दिक्कतों से अवगत थे। बदलाव तीनों प्राधिकारियों की संस्तुति के बाद हुआ।

अदालत : फिर परीक्षा की अधिसूचना क्यों जारी की गई? यह सब अगले साल क्यों नहीं हो सकता? छात्र तो महीनों पहले अहम मेडिकल कोर्सो की तैयारी शुरू कर देते हैं। आखिरी वक्त में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?

मनिंदर सिंह : हमें एक हफ्ता दीजिए, हम सब कुछ स्पष्ट करेंगे।

अदालत : हम आपको सुनने के लिए तैयार हैं, लेकिन अधिकारियों से कह दीजिए कि हम आखिरी मिनट में हुए बदलाव से संतुष्ट नहीं हैं। हम आपको नोटिस पर रख रहे हैं कि अगर हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपसे निपटेंगे। आपने जुलाई में परीक्षा की अधिसूचना जारी कर दी थी तो अगस्त में हलचल पैदा कर देने की क्या जरूरत थी?

जस्टिस चंद्रचूड़ : यह परीक्षा इन युवाओं के करियर के लिए बेहद अहम है। ये डाक्टर पहले ही एमबीबीएस परीक्षा पास कर चुके हैं, इसका यह मतलब नहीं कि परीक्षा पैटर्न में आखिरी वक्त में बदलाव कर दिया जाए। आपको इन डाक्टरों के प्रति संवेदनशील होना होगा।

जस्टिस नागरत्ना : इन युवा डाक्टरों के अध्ययन का पैटर्न सवालों के पैटर्न पर निर्भर करेगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ : हमारे पास कामन ला एडमिशन टेस्ट (क्लैट) का उदाहरण है। मैंने सुना है कि छात्रों को इसके लिए दो साल तैयारी करनी पड़ती है। ठीक इसी तरह एमबीबीएस डाक्टरों को भी आगे पढ़ाई के लिए महीनों तैयारी करनी पड़ती है।

याचिकाकर्ताओं की दलील

बदलाव का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा पैटर्न के तहत 60 प्रतिशत अंक सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के दायरे में आएंगे और 40 प्रतिशत अंक अन्य कोर्सो के लिए होंगे। हालांकि 31 अगस्त को जारी संशोधित अधिसूचना के मुताबिक सौ प्रतिशत सवाल जनरल मेडिसिन से होंगे।

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