सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दो बच्चे पैदा करने का नियम बनाए जाने की मांग, स्वास्थ्य मंत्रालय बनेगा प्रतिपक्ष

जनहित याचिका (पीआइएल) अधिवक्ता व भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। इसमें गृह मंत्रालय की जगह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई तय की गई है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:02 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 08:02 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दो बच्चे पैदा करने का नियम बनाए जाने की मांग, स्वास्थ्य मंत्रालय बनेगा प्रतिपक्ष
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दो बच्चे पैदा करने का नियम बनाए जाने की मांग, स्वास्थ्य मंत्रालय बनेगा प्रतिपक्ष

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए दायर जनहित याचिका में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रतिपक्ष बनाने की सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है। याचिका में नागरिकों के लिए अधिकतम दो बच्चे पैदा करने का नियम बनाए जाने की मांग की गई है।

जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने इस बाबत शुक्रवार को निर्देश जारी किया है। जनहित याचिका (पीआइएल) अधिवक्ता व भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। इसमें गृह मंत्रालय की जगह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई तय की गई है। उपाध्याय ने यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर की है जिसमें दो बच्चों की अनिवार्यता तय करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था देश की तेजी से बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चे पैदा करने की अनिवार्यता लागू की जाए।

केंद्र सरकार मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कह चुकी है कि वह बलपूर्वक परिवार नियोजन वाली कोई व्यवस्था लागू किए जाने के खिलाफ है। इस तरह की कोई व्यवस्था लागू किए जाने से भविष्य में जन सांख्यिकी को लेकर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में केंद्र सरकार ने कहा है कि देश का परिवार नियोजन कार्यक्रम ऐच्छिक आधार पर है। इसमें दंपती को अपने परिवार का आकार तय करने का अधिकार दिया गया है। इसमें छोटे परिवार के फायदे भी बताए गए हैं। इसमें परिवार नियोजन के उपाय भी बताए गए हैं और सरकार की ओर से उसमें सहयोग की व्यवस्था भी है। लेकिन इसमें कुछ भी बाध्यकारी नहीं है।

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