पेगासस जासूसी मामले पर SC ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा- अपनी याचिका की कॉपी केंद्र को दें, 10 अगस्त को फिर सुनवाई

पेगासस जासूसी कांड की जांच के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अब तक कई याचिका डाली गई हैं। आज कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। 10 अगस्त को दोबारा सुनवाई होगी।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:50 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 02:51 PM (IST)
पेगासस जासूसी मामले पर SC ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा- अपनी याचिका की कॉपी केंद्र को दें, 10 अगस्त को फिर सुनवाई
पेगासस जासूसी मामले में आज SC में हुई सुनवाई।(फोटो:ANI)

नई दिल्ली, एजेंसियां। पेगासस जासूसी कांड पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है। इस मामले में विभिन्न लोगों और संस्थाओं ने कई याचिकाएं दायर की है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एनराम और शशिकुमार, सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और वकील एमएल शर्मा ने याचिकाएं दाखिल की हैं। 

पेगासस जासूसी मामले पर आज सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिका की प्रति केंद्र को दें। मंगलवार (10 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट मामले की दोबारा सुनवाई करेगा।

Pegasus snooping row | Supreme Court asks all petitioners to serve their petition copy to the Centre

Supreme Court to hear the matter on Tuesday pic.twitter.com/51YRUb1Soo

— ANI (@ANI) August 5, 2021

आज की सुनवाई में क्या-क्या हुआ ?

पेगासस मामले की आज की सुनवाई के दौरान एन.राम और अन्य के लिए वरिष्ठ सलाहकार कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि पेगासस एक दुष्ट तकनीक है, जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है। CJI का कहना है कि अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई शक नहीं कि आरोप गंभीर हैं।

सर्वोच्च न्यायालय में पेगासस मामले पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का कहना है कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल का तर्क है कि पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, संवैधानिक प्राधिकरण, अदालत के अधिकारी, शिक्षाविद सभी स्पाइवेयर द्वारा लक्षित हैं और सरकार को जवाब देना है कि इसे किसने खरीदा ? हार्डवेयर कहां रखा गया था? सरकार ने प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की? इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत सरकार को नोटिस जारी करें।

पेगासस जासूसी केस में शिक्षाविद् जगदीप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा है कि वर्तमान मामले की भयावहता बहुत बड़ी है और कृपया मामले की स्वतंत्र जांच पर विचार करें। उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च स्तर का नौकरशाह होना चाहिए, जो इसका जवाब कैबिनेट सचिव को देता है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता पत्रकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तर ने कहा कि नागरिकों की गोपनीयता और व्यक्तिगत गोपनीयता पर विचार किया जाना चाहिए।

विभिन्न याचिकाओं पर विचार

पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन.राम व शशि कुमार द्वारा दी गई याचिकाएं भी शामिल हैं। पेगासस मामले की जांच को लेकर संसद में विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है। विपक्ष के हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित हो रही है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इजरायली फर्म एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस की मदद से सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित लोगों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों से जुड़ी नौ अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

क्या है मामला ?

गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए हैं। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया कि पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में 300 भारतीय मोबाइल फोन नंबर शामिल थे।एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाए।गिल्ड ने अपनी अर्जी, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता हैं, में कहा है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वे सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण कर सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं।

chat bot
आपका साथी