पेगासस जासूसी कांड : एन. राम की याचिका पर SC अगले सप्ताह करेगा सुनवाई, याचिका में वर्तमान या पूर्व जज से मामले की स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की। सिब्बल ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और लोगों की स्वतंत्रता व निजता से जुड़ा हुआ है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 08:36 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 08:36 PM (IST)
पेगासस जासूसी कांड : एन. राम की याचिका पर SC अगले सप्ताह करेगा सुनवाई, याचिका में वर्तमान या पूर्व जज से मामले की स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग
एन. राम की याचिका पर SC अगले सप्ताह करेगा सुनवाई। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पेगासस जासूसी कांड की वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश से स्वतंत्र जांच कराने की मांग संबंधी वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। शुक्रवार को उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की। सिब्बल ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और लोगों की स्वतंत्रता व निजता से जुड़ा हुआ है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मामले को अगले सप्ताह सुनवाई पर लगाएंगे

इसका व्यापक असर है। सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मामले को अगले सप्ताह सुनवाई पर लगाएंगे। याचिका में कहा गया है कि पत्रकारों, राजनेताओं आदि की इजरायली स्पाइवेयर पेगासस से जासूसी की गई जो गंभीर मामला है। इसमें अवैध तरीके से फोन है¨कग हुई। यह अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति को दबाने की कोशिश है। याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह बताए कि क्या किसी सरकारी एजेंसी के पास प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी तरह से निगरानी करने का पेगासस स्पाइवेयर लाइसेंस है।

सिविल सोसाइटी के एक्टिविस्ट आदि शामिल

याचिका के मुताबिक, विश्व के विभिन्न मीडिया समूहों ने उजागर किया है कि बहुत से भारतीयों जिनमें पत्रकार, नेता, सिविल सोसाइटी के एक्टिविस्ट आदि शामिल हैं, की पेगासस स्पाइवेयर के जरिये निगरानी हुई है। कहा गया है कि मिलिट्री ग्रेड स्पाइवेयर का प्रयोग कर निगरानी की गई जो स्वीकार करने योग्य नहीं है। ये निजता के अधिकार का हनन है जिसे मौलिक अधिकार माना गया है। इसके अलावा अभिव्यक्ति की आजादी और स्वतंत्रता के अधिकार का भी उल्लंघन हुआ है। पहली निगाह में यह साइबर आतंकवाद है जिसके राजनीतिक और सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रभाव हैं।

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