बेटी के पैदा होने पर क्रिकेट से दूर रहे थे विराट कोहली, जानें- क्या है भारत और पूरी दुनिया में पितृत्व अवकाश के नियम

देश में पितृत्व अवकाश के लिए कोई नियम-कानून लागू नहीं है इसीलिए यह अवकाश देना न देना निजी कंपनियों की मर्जी पर है। जोमैटो ने जब सभी कर्मचारियों महिला-पुरुष दोनों के लिए 26 सप्ताह की पैरेंटल लीव पालिसी घोषित की तो सब चौंक गए।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 07:49 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 10:57 PM (IST)
बेटी के पैदा होने पर क्रिकेट से दूर रहे थे विराट कोहली, जानें- क्या है भारत और पूरी दुनिया में पितृत्व अवकाश के नियम
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की फाइल फोटो

माला दीक्षित, नई दिल्ली। पिता बनने के दौरान भारतीय कप्तान विराट कोहली क्रिकेट मैदान से दूर रहे, इसे लेकर इंटरनेट मीडिया पर काफी चर्चा हुई, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है-पिता बनने की जिम्मेदारी। अगर इसे कानून की निगाह से देखा जाए तो मां को कानूनन छह महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है, पितृत्व अवकाश के लिए कोई कानून नहीं है। सर्विस रूल के तहत केंद्र सरकार पिता को 15 दिन का पितृत्व अवकाश देती है। कई निजी कंपनियों में भी पितृत्व अवकाश दिया जाता है, लेकिन इस बारे में कानून न होने से समरूपता और अनिवार्यता का अभाव है।

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र के सांसद राजीव साटव ने पिता के हितों को संरक्षित करने के लिए पैटेरनिटी बेनीफिट बिल पेश किया था। इसमें असंगठित और निजी क्षेत्र में 15 दिन के पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव था जो तीन माह तक बढ़ाया जा सकता था, लेकिन उनका प्रयास सिरे नहीं चढ़ सका। देश में पितृत्व अवकाश की मौजूदा स्थिति देखी जाए तो आल इंडिया सर्विस रूल के तहत केंद्र सरकार अपने पुरुष कर्मचारियों को दो बच्चों के जन्म के समय 15 दिन का सवैतनिक अवकाश देती है। अब इसको लेकर मांग तेज होने लगी है।

बच्चे के जन्म के दौरान पिता की जिम्मेदारियां हैं बढ़ती

कई जगह सीनियर एचआर एक्जीक्यूटिव रह चुकीं अदिति कहती हैं कि इस बारे में कानून होना चाहिए। लिज्जत पापड़ महिला गृह उद्योग, जबलपुर को 47 साल तक संचालित करने वाली पूर्व प्रमुख पुष्पा बेरी भी मानती हैं कि 15 दिन का पितृत्व अवकाश काफी कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि बच्चे के जन्म से पिता की जिम्मेदारियों में काफी बढ़ोतरी होती है। पिता की जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, इससे सहमत तो अमूल के एमडी आरएस सोढी भी हैं और कहते हैं कि इस समय पुरुष को एक महीने का अवकाश मिलना चाहिए। साथ ही वह तर्क देते हैं कि हर संस्था में छुट्टी के नियम समान नहीं होते- कहीं ज्यादा छुट्टियां मिलती हैं तो कहीं कम।

फिनलैंड में है सात महीने की पैरेंटल लीव 

देश में पितृत्व अवकाश के लिए कोई नियम-कानून लागू नहीं है, इसीलिए यह अवकाश देना, न देना, निजी कंपनियों की मर्जी पर है। जोमैटो ने जब सभी कर्मचारियों, महिला-पुरुष दोनों के लिए 26 सप्ताह की पैरेंटल लीव पालिसी घोषित की तो सब चौंक गए। फिनलैंड में सात महीने की पैरेंटल लीव है, तो स्वीडन में 480 दिन का सवैतनिक अवकाश मिलता है। हालांकि ज्यादातर देशों में पितृत्व अवकाश की व्यवस्था या कानून नहीं है, लेकिन दुनिया की कई बड़ी कंपनियां चार से 16 सप्ताह की पैरेंटल लीव देती हैं।

15 दिन के अवकाश को और आगे बढ़ाने की जरूरत

इन्फोसिस के पूर्व एचआर हेड मोहनदास पाई कहते हैं कि 15 दिन का पितृत्व अवकाश आगे की सोच है और यह अच्छा कदम है। इसे और बढ़ाने की जरूरत दो-तीन साल बाद इसका असर देखने के बाद तय होनी चाहिए। कुछ देशों में छह- सात माह का सवैतनिक अवकाश मिलने पर वह कहते हैं कि ऐसा स्कैंडिनेवियाई देशों (उत्तरी यूरोप) में है, क्योंकि वे देश बहुत अमीर हैं। वहां प्रति व्यक्ति आय हमारे देश की अपेक्षा 12 से 20 गुना ज्यादा है। भारत गरीब देश है। यहां अवकाश तय करते समय यह भी देखना होगा कि कामकाज, उद्योग चलता रहे। ओसवाल इंडस्ट्री के चेयरमैन जवाहर ओसवाल भी कहते हैं कि 15 दिन का पितृत्व अवकाश पर्याप्त है, क्योंकि बच्चे के जन्म पर माता और पिता की भूमिका में अंतर है। उनकी कंपनी 15 दिन का पितृत्व अवकाश देती है।

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