जज्बा-जुनून: उत्तराखंड की रिद्धिमा महज पांच वर्ष की आयु से जगा रहीं पर्यावरण संरक्षण की अलख

रिद्धिमा ने हाल ही में एनवायरनमेंट कंजर्वेशन ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराया है। वह बड़ों के साथ बच्चों को भी जोड़ रही हैं। बच्चों को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया जा रहा है ताकि बचपन से ही इस ओर सोचना शुरू कर दें..

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 01:26 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 01:26 PM (IST)
जज्बा-जुनून: उत्तराखंड की रिद्धिमा महज पांच वर्ष की आयु से जगा रहीं पर्यावरण संरक्षण की अलख
हरिद्वार की हरिपुर कलां निवासी 13 वर्षीय रिद्धिमा पांडे। (फाइल फोटो)

मनीष कुमार, हरिद्वार। देश-दुनिया में पर्यावरण संरक्षण को लेकर आवाज बुलंद करने वाली हरिद्वार की हरिपुर कलां निवासी 13 वर्षीय रिद्धिमा पांडे का नाम बीबीसी की ओर से जारी दुनिया की सौ प्रेरक एवं प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया है। खास बात यह कि ‘वूमेन ऑफ-2020’ की सूची में भारत से जिन तीन महिलाओं को स्थान मिला है, उनमें रिद्धिमा सबसे कम उम्र की है।

पर्यावरण प्रेमी रिद्धिमा का कहना है कि पर्यावरण को बचाना है तो इसके लिए आमजन से पहले सरकारों को जागरूक होना होगा। जब तक शासन-प्रशासन पर्यावरण को विभिन्न माध्यमों से प्रदूषित करने वालों के खिलाफ सख्त रुख नहीं अपनाएंगे, तब तक इस पर रोक लगा पाना संभव नहीं। उत्तरी हरिद्वार स्थित बीएम डीएवी पब्लिक स्कूल में नौवीं कक्षा की छात्र रिद्धिमा वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा के दृश्यों को देख पर्यावरण की प्रहरी बनीं। तब रिद्धिमा की उम्र महज पांच साल थी। उस दौरान मीडिया में आ रही केदारघाटी की खौफनाक तस्वीरों ने इस छोटी-सी बच्ची के मन में पर्यावरण संरक्षण को लेकर ऐसी अलख जगाई कि वह दुनियाभर में पहचानी जाने लगी।

पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा ने महज नौ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर कारगर कदम न उठाने पर केंद्र सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में वाद दायर किया था। उनके इस कदम को न केवल देश, बल्कि दुनियाभर में सराहा गया। यहीं से उसे प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई। इतना ही नहीं, महज 11 साल की उम्र में रिद्धिमा को ऐसी पहली लड़की बनने का गौरव हासिल हुआ, जिसने संयुक्त राष्ट्र संघ में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जोरदार भाषण दिया था।

पेट्रोलियम स्टोरेज प्रोजेक्ट पर रोक लगना बड़ी उपलब्धि: 

रिद्धिमा ने केरल में पेट्रोलियम स्टोरेज प्रोजेक्ट का विरोध किया था, जिस पर बाद में सरकार ने रोक लगा दी थी। रिद्धिमा इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहती है कि इस प्रोजेक्ट को लगाने से ईको सेंसिटिव जोन के खतरे में पडने के साथ ही वहां रहने वालों की जान भी खतरे में पड़ सकती थी। कारण, प्रोजेक्ट से गैस रिसाव का खतरा बराबर बना रहता। इस प्रोजेक्ट का लंबे समय से स्थानीय निवासी विरोध कर रहे थे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। इसलिए वह केरल जाकर कई बार विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुईं। साथ ही केंद्र सरकार के समक्ष भी यह मांग उठाई गई। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सरकार ने रोक लगा दी।

निजी हित के लिए पर्यावरण को तबाह कर रही सरकारें : 

रिद्धिमा कहती हैं कि सरकारें निजी हित के लिए आज पर्यावरण को तबाह करने पर तुली हैं। इसका ताजा उदाहरण उत्तराखंड में देखने को मिलता है। यहां सरकार ने एलिफैंट रिजर्व को ही खत्म करने का निर्णय लिया है। दरअसल, यह एलिफैंट रिजर्व कुछ व्यक्तियों की योजनाओं में बाधक साबित हो रहा है। यदि एलिफैंट रिजर्व समाप्त होता है तो इन इलाकों में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। जंगल काटे जाएंगे और वन्य जीवों की जान संकट में पड़ जाएगी।

कहती हैं कि सरकार पर्यावरण को संरक्षित करने की जगह वित्तीय लाभ को प्राथमिकता दे रही है। विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर विनाश को निमंत्रण दिया जा रहा है। इसका खामियाजा आने वाले समय में जनता को ही भुगतना पड़ेगा। छोटी उम्र में रिद्धिमा बड़ों के साथ बच्चों को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने की मुहिम में जुटी हैं।

जितना ध्यान सामाजिक विषयों पर उतनी ही पकड़ पढ़ाई पर 

विश्व के 100 प्रभावशाली महिलाओं में रिद्धिमा के शामिल होने से धर्म नगरी के निवासी खुश हैं। अब हर कोई शहर के बच्चों को रिद्धिमा की तरह आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है ताकि वह अपना ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर सके। बीएम डीएवी की प्राचार्य लीना भाटिया का कहना है कि रिद्धिमा स्कूल में पढ़ने वाले अन्य बच्चों के लिए एक प्रेरणास्नेत है। सामाजिक विषयों पर रिद्धिमा की जितनी पकड़ है उतना ही ध्यान उसका पढ़ाई पर भी है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर रिद्धिमा की लगन सभी के लिए प्रेरणादायी है और उसकी उपलब्धि से पूरा स्कूल गौरवान्वित महसूस कर रहा है। 

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