विमान के अंदर हवा का कम दबाव होने पर एक स्विच पर टिकी है आपकी जान
जेट एयरवेज की फ्लाइट में केबिन का एयर प्रेशर कम होने से कई यात्रियों के नाक और कान से खून बहने लगा। दरअसल ऐसा विमान के चालक दल की भूल से हुआ।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। विमान यात्रा को सुगम और आरामदायक माध्यम माना जाता है लेकिन धरती से हजारों फुट ऊंचाई पर विमान के अंदर एक स्विच भी इंसान की जान के लिए बहुत अहमियत रखता है। गुरुवार को जेट एयरवेज की फ्लाइट में केबिन का एयर प्रेशर कम होने से कई यात्रियों के नाक और कान से खून बहने लगा। दरअसल ऐसा विमान के चालक दल की भूल से हुआ। फ्लाइट के उड़ान भरने पर केबिन के अंदर हवा का दबाव कम होने लगता है जिसे इस स्विच के जरिए सामान्य स्तर पर रखा जाता है।
...तो सांस लेना होगा मुश्किल
विमान जैसे-जैसे धरती से ऊपर ऊंचाई पर पहुंचता है इसके अंदर हवा का दबाव कम होने लगता है और हवा में ऑक्सीजन कम होने लगती हैं। समुद्र तल से 10 हजार फुट ऊंचाई पर सिरदर्द और उल्टी जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
ब्लीड वॉल्व
टरबाइन आसमान से ऑक्सीजन को कंप्रेस कर अंदर लाते हैं और ब्लीड वॉल्व बंद कर इसे अंदर स्टोर कर लिया जाता है। अगर ये वॉल्व खुले रह जाएं तो ऑक्सीजन वापस बाहर निकलने लगती है।
कम दबाव में होते हैं ये बदलाव
- दबाव कम होने पर सांस लेने में परेशानी होती है।
- हवा में आद्रता (नमी) कम होने होने से ज्यादा प्यास लगती है।
- दबाव बहुत कम होने पर दिमाग ठीक से काम करना बंद कर देता है।
- स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता 30 फीसद घट जाती है।
- शरीर में रक्त के बहाव में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है जो जोड़ों में दर्द, लकवा और मौत का कारण भी बन सकती है।
विमान में ऑक्सीजन
विमान के अंदर हवा के दवाब को सामान्य स्तर पर रखा जाता है जिससे यात्रियों और चालक दल को सांस लेने में परेशानी न हो। विमान के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं रखे जा सकते हैं लिहाजा विमान के इंजन से जुड़े टरबाइन आसमान में मौजूद ऑक्सीजन को कंप्रेस कर अंदर लाते हैं। इंजन से होकर गुजरने की वजह से हवा का तापमान अधिक हो जाता है ऐसे में कूलिंग तकनीक के जरिए इसे ठंडा किया जाता है।
ऑटोमैटिक केबिन प्रेशर मशीन
विमान में दो ऑटोमैटिक केबिन प्रेशर मशीन ऑक्सीजन के दबावको नियंत्रित रखती हैं। एक मशीन सामान्य तौर पर काम करती है जबकि दूसरी आपात स्थिति के लिए होती है। इसके अलावा एक गैर स्वचालित मोटर होता है। दोनों ऑटोमैटिक मशीनों के बंद होने पर इस मोटर का इस्तेमाल किया जाता है।