अफगानिस्तान पर एनएसए स्तरीय सम्मेलन में भाग नहीं लेगा पाकिस्तान, डोभाल कर रहे हैं आयोजन की मेजबानी

पाकिस्तानी समाचार पत्र बिजनेस रिकार्डर के अनुसार अफगानिस्तान की हालातों को लेकर एनएसए मोइद यूसुफ ने उज्बेकिस्तान के साथ सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान बताया कि वह भारत की मेजबानी में आयोजित होने वाले सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 02 Nov 2021 05:14 PM (IST) Updated:Tue, 02 Nov 2021 10:50 PM (IST)
अफगानिस्तान पर एनएसए स्तरीय सम्मेलन में भाग नहीं लेगा पाकिस्तान, डोभाल कर रहे हैं आयोजन की मेजबानी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत के एनएसए अजीत डोभाल की फाइल फोटो

इस्लामाबाद, एजेंसियां। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर नई दिल्ली में 10 नवंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय सम्मेलन में पाकिस्तान ने प्रतिभाग नहीं करने का फैसला किया है। आतंकियों का पनाहगार पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश में भारत को शांतिदूत की भूमिका में नहीं देखना चाहता। इस सम्मेलन की मेजबानी भारतीय एनएसए अजीत डोभाल कर रहे हैं।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पाकिस्तानी एनएसए मोइद यूसुफ ने यहां संवाददाताओं को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में भारत शांतिदूत की भूमिका नहीं निभा सकता। यूसुफ ने कहा, 'पश्चिमी देशों की तरह हम अफगानिस्तान से अलग-थलग नहीं रह सकते। हमारे पास इसका विकल्प नहीं है। अफगानिस्तान के साथ हमारा संबंध केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि मानवीय और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।' पाकिस्तानी विदेश विभाग ने पूर्व में भारत से सम्मेलन का आमंत्रण मिलने की पुष्टि की थी। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि इस मामले में निर्णय दोनों देशों के मौजूदा संबंधों के अनुरूप लिया जाएगा।

Pakistan's National Security Advisor Moeed Yusuf says he will not attend the meeting called by India on Afghanistan on November 10

Pakistan was also invited for the meeting along with China, Russia, Iran and other countries

— ANI (@ANI) November 2, 2021

भारत ने क्षेत्रीय सम्मेलन के लिए रूस, ईरान, चीन, ताजिकिस्तान व उज्बेकिस्तान के एनएसए को भी आमंत्रित किया है। वर्ष 2016 में पठानकोट में सैन्य बेस पर आतंकी हमले के बाद भारत व पाकिस्तान के संबंध तल्ख हो गए हैं।

भारतीय पक्ष ने पहले अप्रैल में पूर्व अशरफ गनी सरकार की भागीदारी के साथ इसी तरह की बैठक बुलाने की योजना बनाई थी। हालांकि, भारत में कोरोना की दूसरी लहर और उस समय अफगानिस्तान में तेजी से गंभीर होती स्थिति के कारण इसे रद कर दिया गया था।

वहीं, भारत ने हाल ही में मास्को प्रारूप की एक बैठक में भाग लिया जिसमें तालिबान के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। मास्को में बैठक के इतर भारतीय अधिकारियों ने तालिबान नेताओं के साथ भी बातचीत की थी।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आते ही वहां के हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। महिलाओं और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए तालिबान रोजाना नए कानून ला रहा है। राजधानी काबुल समेत कई प्रांतों में बम धमाकों की घटनाएं भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गईं हैं, जिससे जानमाल का काफी नुकसान हो रहा है। 

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