इसीलिए निचली अदालतों में मिलती है तारीख पर तारीख

निचली अदालतों में लंबित कुल 2.50 करोड़ मामलों में ये मामले 8.29 प्रतिशत हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 05:48 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 08:09 PM (IST)
इसीलिए निचली अदालतों में मिलती है तारीख पर तारीख
इसीलिए निचली अदालतों में मिलती है तारीख पर तारीख

नई दिल्‍ली, प्रेट्र। देश भर की विभिन्न अधीनस्थ अदालतों में 22 लाख से ज्यादा मामले एक दशक से भी अधिक समय से लंबित हैं। सरकारी आंकड़े से यह बात सामने आई है। ऐसे मामले निचली अदालतों में लंबित कुल 2.50 करोड़ मामलों का 8.29 फीसद है।

 राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड पर सोमवार शाम तक उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक, निचली अदालतों में 22,90,364 मामले 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से लंबित हैं। इनमें से 5,97,595 या करीब 5.5.95 लाख दीवानी के और 16,92,769 या 16.92 लाख आपराधिक प्रकृति के मामले हैं। दीवानी मामले आम तौर पर दो लोगों या संगठनों के बीच निजी विवाद के होते हैं। फाइंड लॉ पर उपलब्ध परिभाषा के अनुसार, आपराधिक मामले ऐसी गतिविधि से संबंधित होते हैं जिसे संपूर्ण समाज के लिए घातक माना जाता है।

राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) जारी ई-कोर्ट इंटीग्रेटेड मिशन मोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है। एनजेडीजी पहचान, प्रबंधन और लंबित मामलों की संख्या कम करने की निगरानी करने वाले टूल की तरह काम करता है। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने एनजेडीजी लांच किया है। यह देश भर की जिला अदालतों में लंबित मामलों का डाटा मुहैया कराने के लिए लांच किया गया है।

 केंद्रीय कानून मंत्री लगातार उच्च न्यायालयों को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले निचली अदालतों में लंबित मामलों को भौतिक रूप से सत्यापित करने का अनुरोध कर रहे हैं। लंबित मामलों को कम करने के प्रयासों में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि या अतिरिक्त बेंच बनाना भी शामिल है। हालांकि पूरे देश में न्‍याधीशों के छह हजार से अधिक पद खाली हैं।

निचली अदालतों के स्तर पर पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों की नियुक्ति करना राज्य सरकारों का काम है। हालांकि यह रिपोर्ट ये भी बताती है कि लंबित मामले विभिन्‍न कोर्ट में लगातार कम हो रहे हैं, इसके बाद भी यह कहना गलत नहीं होगा कि लंबित मामलों की तादाद आज भी काफी है।  

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