रनवे बनने से भारतीय वायु सेना चीन और पाकिस्तान को युद्ध के समय मुंहतोड़ जवाब देने में होगी सक्षम

चीन और पाकिस्तान की रणनीतिक चालों में बदलाव के कारण भारत की सामरिक तैयारी यही है कि युद्ध की स्थिति में वह दोनों मोर्चो पर निपट सके। इसके लिए वायु सेना उन हाईवे को रनवे के रूप में आजमा रही है जो युद्ध की स्थिति में काम आ सकें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:28 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:29 AM (IST)
रनवे बनने से भारतीय वायु सेना चीन और पाकिस्तान को युद्ध के समय मुंहतोड़ जवाब देने में होगी सक्षम
निश्चित तौर पर हमारी सामरिक ताकत में वृद्धि होगी।

डा. लक्ष्मी शंकर यादव। राजस्थान के बाड़मेर में राष्ट्रीय राजमार्ग 925ए पर हाल ही में एक हवाई पट्टी का उद्घाटन किया गया है। देश की सामरिक आवश्यकताओं के हिसाब से यह नया प्रयोग रणनीतिक क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि देशभर में ऐसी लगभग 20 हवाई पट्टियां और बनाई जाएंगी।

राष्ट्रीय राजमार्ग 925ए पर भारतीय वायु सेना के विमानों के लिए बनाया गया यह पहला इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यहां पर कई विमानों के संचालन को देखा। उनके सामने सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान, सैन्य परिवहन विमान एएन-32 और एमआइ-17वी हेलीकाप्टर ने इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड पर आपातकालीन लैंडिंग की। यह ईएलएफ करीब तीन किमी लंबी है। आपात स्थिति में इसका उपयोग भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को उतारने और टेक आफ करने के लिए किया जाएगा। इस राष्ट्रीय राजमार्ग के समानांतर ही तीन किमी लंबी एयरस्टिप तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य यह है कि यदि युद्ध के समय शत्रु हमारे एयरबेस पर हमला करता है अथवा आक्रमण करके उसे नष्ट कर देता है तो उस दौरान इस इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का प्रयोग किया जा सकता है।

विदित हो कि यहां से पाकिस्तान की सीमा मात्र 40 किमी दूर है। ऐसे में किसी युद्ध के समय यहां से बड़े-बड़े अभियान संचालित किए जा सकेंगे। अभी तक हमारे पास पाक सीमा के नजदीक ऐसी कोई एयरस्टिप नहीं थी। अब इसके हो जाने से हमारी आक्रामक क्षमता बढ़ गई है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भारतीय वायु सेना के लिए किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में विमानों को उतारने के लिए इस इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का निर्माण किया है। दरअसल बाड़मेर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग के समानांतर जिस एयरस्टिप का निर्माण किया गया है उसे एक छोटा सा एयरफोर्स स्टेशन भी समझा जा सकता है। इस एयरस्टिप की खास बात यह है कि इसके दोनों तरफ पार्किंग स्थल भी तैयार किए गए हैं ताकि लैंडिंग के बाद लड़ाकू विमानों को पार्क किया जा सके। यहां पर एक एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का निर्माण भी किया गया है। इस एयरस्टिप के दोनों छोर पर आपात स्थिति में प्रयोग के लिए गेट की भी व्यवस्था की गई है। एयरस्टिप के बगल में साढ़े तीन किमी लंबी और सात मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी बनाई गई है जो आपात स्थिति में विषेश भूमिका अदा करेगी। इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा आसपास के गांवों में सेना की जरूरतों के हिसाब से तीन हेलीपैड का निर्माण भी किया गया है। यह कार्य देश की पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना और सुरक्षा नेटवर्क के लिए मजबूती का आधार होगा।

दूसरी ओर कश्मीर दशकों से बेहद संवेदनशील रहा है। भौगोलिक रूप से भी इसके एक ओर पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन है। ऐसे में इसकी सामरिक महत्ता भी अत्यधिक है। लिहाजा दक्षिण कश्मीर के श्रीनगर-जम्मू हाईवे-44 पर भी आपातकालीन परिस्थितियों में लड़ाकू विमानों के उतारने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए 3500 मीटर लंबी हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है। यह हवाई पट्टी बिजबिहाड़ा में बन रही है।

देखा जाए तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर रनवे सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के समय जर्मनी में बनाया गया था। इसके बाद उत्तरी कोरिया, ताइवान, स्वीडन, फिनलैंड, स्विटजरलैंड, पोलैंड एवं चेकोस्लोवाकिया में बनाए गए। स्वीडन में पहला रनवे वर्ष 1949 में शुरू हो गया था। वर्ष 1967 में मिस्र के साथ युद्ध में जिस तरह इसका इस्तेमाल हुआ उससे इस व्यवस्था को और बढ़ावा मिला। संप्रति स्वीडन में घने जंगलों के बीच भी आपातकाल के दौरान विमानों की लैंडिंग और उड़ान भरने की व्यवस्था है। वहां पर लैंड होने वाले हेलीकाप्टरों के रखरखाव की भी सुविधा है। पोलैंड ने अपने यहां वर्ष 2003 में हाईवे स्टिप तैयार की थी। इस पर कई विमानों की लैंडिंग कराई जा सकती है। आस्ट्रेलिया में हाईवे के कई हिस्सों को रनवे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

दक्षिण कोरिया में भी हाईवे पर रनवे बनाए जा चुके हैं। यहां की सेना कई मौकों पर इनका इस्तेमाल भी कर चुकी है। अमेरिका और अन्य देशों के साथ युद्धाभ्यास के दौरान नियमित रूप से इनका इस्तेमाल किया जाता है। पाकिस्तान में भी दो हाईवे एयरस्टिप हैं जिनमें पहला पेशावर इस्लामाबाद हाईवे पर है और दूसरा लाहौर इस्लामाबाद हाईवे पर है। सैन्य इस्तेमाल में लाए जाने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने इन दोनों हाईवे के दो-दो हिस्सों को इमरजेंसी रनवे घोषित कर रखा है जिससे वे युद्ध के समय काम आ सकें। इन रनवे का परीक्षण वर्ष 2010 में ही पाकिस्तान कर चुका है।

अब भारत भी इस श्रेणी में आ गया है। वायु सेना पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्य गुजरात, राजस्थान और पंजाब के आठ हाईवे को रनवे लायक बनाना चाहती है। वायु सेना चाहती है कि इन सड़कों का हिस्सा बिल्कुल सपाट हो। उस पर कोई ढलान न हो और मोटाई सड़क के बाकी हिस्सों से ज्यादा हो। ऐसी सड़कों के दोनों किनारों पर बिजली के खंभे अथवा मोबाइल टावर आदि नहीं होने चाहिए तथा सड़क के डिवाइडर ऐसे हों कि उन्हें सरलता से शीघ्र हटाया जा सके। इसके अलावा सड़क के दोनों किनारों पर इतनी जगह होनी चाहिए कि वहां प्लेन को गाइड करने के लिए पोर्टेबल लाइटिंग सिस्टम लगाए जा सकें। अगर इस तरह से राजमार्गो का विकास हुआ तो इससे भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता बढ़ने के साथ साथ युद्ध के समय गोला-बारूद एवं अन्य जरूरी हथियार पहुंचाने में भी आसानी होगी। स्पष्ट है कि इस तरह के रनवे बनने से भारतीय वायु सेना चीन और पाकिस्तान को युद्ध के समय मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगी।

[पूर्व प्राध्यापक, सैन्य विज्ञान विषय]

chat bot
आपका साथी