जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को रिहा करने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट बोला- खतरे में जीवन

कोरोना के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश। कहा- जिन कैदियों को पिछले साल छोड़ा गया था उन्हें इस साल भी छोड़ा जाए। कहा कि उन मामलों में गिरफ्तारी से बचें जिनमें अधिकतम सजा सात वर्ष की अवधि की है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 06:28 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 06:28 PM (IST)
जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को रिहा करने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट बोला- खतरे में जीवन
जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को रिहा करने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट बोला- खतरे में जीवन

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में कोरोना के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन कैदियों को पिछले साल महामारी के मद्देनजर जमानत या पैरोल दी गई थी, उन सभी को फिर वह सुविधा दी जाए।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूति एल नागेश्वर राव और सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि देशभर की जेलों में लगभग चार लाख कैदी हैं। उनका जीवन और स्वास्थ्य का अधिकार महामारी के चलते खतरे में है। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बनाई गई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा पिछले साल मार्च में जिन कैदियों को जमानत की मंजूरी दी गई थी, उन सभी को समितियों द्वारा पुनíवचार के बगैर पुन: वह राहत दी जाए, जिससे विलंब से बचा जा सके।

उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड हुए आदेश में कहा गया, इसके अलावा हम निर्देश देते हैं कि जिन कैदियों को हमारे पूर्व के आदेशों पर पैरोल दी गई थी, उन्हें भी महामारी पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत फिर से 90 दिनों की अवधि के लिए पैरोल दी जाए।

एक फैसले का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि उन मामलों में गिरफ्तारी से बचें, जिनमें अधिकतम सजा सात वर्ष की अवधि की है। पीठ ने उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों को अपनाते हुए नए कैदियों की रिहाई पर विचार करें।

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